आरयू ब्यूरो
लखनऊ। प्रदेश की सरकार बदल चुकी, लखनऊ विकास प्राधिकरण के चेयरमैन सदाकांत उपाध्यक्ष सत्येन्द्र सिंह यादव को कार्यप्रणाली सुधारने और नया काम नहीं करने की नसीहत दे चुके हैं। इन सबके बाद भी एलडीए के भ्रष्ट इंजीनियर सुधरने के मूड में फिलहाल नजर नहीं आ रहें। आए दिन कारनामों को लेकर चर्चा में रहने वाले इंजीनियर अब अपने कार्यालय को ही शिकार बना रहे हैं।
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गोमतीनगर स्थित एलडीए की नई बिल्डिंग में फर्स्ट से आठवें फ्लोर तक इंजीनियर करोड़ों रुपए की लागत से दो दर्जन से ज्यादा केबिन बनवाने के साथ ही अन्य काम करवा रहे है। मामला खुलने के बाद अब इंजीनियरों को जवाब नहीं सूझ रहा।
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एई ने माना नहीं हुआ टेंडर
एक्सईएन अवधेश कुमार तिवारी का दावा है कि काम और एमाउंट का ब्यौरा जुटाने में उन्हें दस दिन का समय लग जाएगा। जबकि लंबे समय से मेंन्टिनेंश का काम देख रहे हाल ही में जेई से एई हुए वीके ओझा ने माना कि काम का टेंडर नहीं हुआ है, न ही अभी तक फाइल पास हुई है।
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दो साल पहले ही 35 करोड़ की लागत से बनी थी बिल्डिंग
बताते चलें कि एलडीए के पूर्व वीसी राजीव अग्रवाल ने पुराने कार्यालय के ठीक बगल में करीब 35 करोड़ की लागत से नई बिल्डिंग बनवाई थी। 2015 से ही एलडीए के लोगों ने इसमें बैठना शुरू किया था।
कमीश्न के चक्कर में बर्बाद कर दिया ऑफिस का लुक
जानकार बताते है राजीव अग्रवाल ने एलडीए कार्यालय को कॉर्पोरेट ऑफिस का लुक देने के हिसाब से इंटीरियर की डिजाइनिंग करवाई थी। हर फ्लोर पर कुछ केबिन बनाने के अलावा हॉल में खूबसूरती से लो हॉइट पॉर्टिशन किया गया था।
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वीआरवी एसी और सीसीटीवी कैमरों समेत तमाम संसधानों से लैस बिल्डिंग के इंटीरियर फर्नीशिंग पर ही करीब 13 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। इन सबके बावजूद बिल्डिंग के आठ फ्लोर पर लो हाइट पार्टिशन को तोड़कर केबिन बनाई जा रही। इससे जनता की गाढ़ी कमाई तो बेकार हो रही साथ ही ऑफिस की सूरत भी बिगड़ रही।
गड़बड़ी की हड़बड़ी में भूल गए इंजीनियरिंग
कमीशनखोरी की हड़बड़ी में सीविल इंजीनियरों ने विधुत यांत्रिक के इंजीनियरों से भी राय नहीं ली। यही वजह है कि कई फ्लोर पर केबिन बन जाने के बाद भी पावर प्वाइंट और पंखा नहीं होने की वजह से अधिकत्तर अधिकारी उसमें बैठ नहीं पा रहे। इसके साथ ही हॉल की क्षमता के हिसाब से लगाई गई एसी कई जगाहों पर छोटी-छोटी केबिनों में कैद हो गई।
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दिक्कत होने पर अधिशासी अभियंता डीसी सचान, तहसीलदार समेत अन्य लोगों ने विधुत यांत्रिक के जेई (मेन्टिनेंस) प्रमोद विवारी से शिकायत की तो उन्होंने टेंडर के अभाव में काम कराने से मना कर दिया। प्रमोद तिवारी ने यह भी कहा कि केबिन बनने के समय ही इलेक्ट्रीकल काम भी होना चाहिए था।
टेंडर न होने की जानकारी नहीं है। संबंधित इंजीनियर से जवाब मांगने के साथ ही मामले की पूरी डिटेल निकवाकर आगे की कार्रवाई की जाएगी। अरुण कुमार, एलडीए सचिव
इस तरह के काम से सीधे-सीधे एलडीए को आर्थिक क्षति पहुंचती है। फिलहाल नई बिल्डिंग में काम कराने का कोई औचित्य नहीं था, लेकिन कमीशनखोरी के लिए हमेशा कुछ न कुछ काम चलता रहता है। एैसे मामलों से लगातार विभाग की बदनामी हो रही है। शिव प्रताप सिंह, कर्मचारी संघ अध्यक्ष, एलडीए
सरकार की बदनामी कराने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा। विभागों के बंटवारे के बाद मामले की जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव, प्रदेश मीडिया प्रभारी, भाजपा