आरयू ब्यूरो
लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण की नई बिल्डिंग में बिना टेंडर के बनाई गई करोड़ों रुपए की केबिन के मामले में बचने का रास्ता इंजीनियर ढ़ूढ ही रहे थे कि उनका एक नया कारनामा सामने आया है। इस बार करामाती इंजीनियरों ने अपने सबसे बड़े अधिकारी सत्येंद्र सिंह यादव के कार्यालय में फर्नीचर सप्लाई के नाम पर ही विभाग को चूना लगाया है। कार्रवाई से बेखौफ इंजीनियरों ने बिना टेंडर कराए करीब आठ लाख रुपए के फर्नीचरों की खरीद कर डाली है।
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हालांकि करोड़ों रुपए के हेरफेर करने में माहिर इंजीनियरों का इस बार आठ लाख रुपए का ही खेल सामने आया है, लेकिन धनराशि हटाकर बात किया जाए तो इस कारस्तानी को अंजाम देने के लिए इंजीनियरों ने जो तरीका इस्तेमाल किया है, वह प्राधिकरण के भविष्य के लिए बेहद खतरनाक साबित होगा, यह बात तय है।
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टेंडर की प्रक्रिया से बचने के लिए इंजीनियर ने 40 हजार से 99 हजार रुपए तक की एक-दो नहीं बल्कि 13 फाइलें बना दी। आचार संहिता के दौरान बीते जनवरी-फरवरी के बीच सभी फाइलें किसी मेसर्स मोमेन्टम टेक्सिस प्राइवेट लिमिटेड फर्म के नाम से तैयार की गई। हद तो तब हो गई जब अधिकारियों ने भी आंख बंदकर फाइलों पर साइन कर फर्म को भुगतान करा दिया।
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बता दें कि एलडीए में एक लाख रुपए से ऊपर के काम के लिए टेंडर कराना आवश्यक होता है। यही वजह है कि फाइलों का एमाउंट एक लाख से कम ही रखा गया। एलडीए के जानकार बताते है कि इस काम के लिए अगर टेंडर होता तो कई फर्मों की प्रतिस्पर्धा के चलते विभाग को सामान कम दाम पर मिलना तय था। हालांकि इस परिस्थिति में इंजीनियरों को ठेकेदार की ओर से मिलने वाला कमीशन का प्रतिशत कई गुना कम हो जाता।
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एलडीए वीसी के चहेते बताए जा रहे इंजीनियर
इस पूरे खेल के पीछे जूनियर इंजीनियर नवीन शर्मा और अधिशासी अभियंता एके तिवारी का नाम मुख्य रूप से सामने आया है। एलडीए में मेन्टिनेंस समेत अन्य काम देखने वाले दोनों इंजीनियर एलडीए वीसी सत्येंद्र सिंह यादव के चहेते बताए जा रहे हैं। एलडीए के एक अधिकारी ने बताया कि उपाध्यक्ष से करीबी के चलते दूसरे इंजीनियर और अधिकारी इन पर कार्रवाई करने में हिचकते है।
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इस बात को यहां से भी बल मिलता है कि हाल ही में एलडीए के नए भवन में कीमत फर्नीचर तोड़वाकर करोड़ रुपए की केबिन बनवाने में भी इन्हीं दोनों इंजीनियरों कि भूमिका अहम बताई जा रही। जबकि केबिन बनवाने के लिए टेंडर तक नहीं किया गया है।
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मामला एक हफ्ते से वीसी सत्येंद्र सिंह यादव और चीफ इंजीनियर ओपी मिश्रा के संज्ञान में होने के बाद भी प्राधिकरण की संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचाने के साथ ही नियमों को दरकिनार करने वाले इंजीनियरों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
जानें क्या कहते है जिम्मेदार…
इस बारे में जेई नवीन शर्मा ने बताया कि फर्नीचर की आवश्यकता अर्जेंट थी। इसी के चलते छोटे एमाउंट की फाइल बनाकर काम करवाया गया, जबकि केबिन प्रकरण में दस दिन में जानकारी जुटाने का दावा करने वाले अधिशासी अभियंता एके तिवारी के मोबाइल नंबर 9918001463 पर दो बार फोन करने के बाद भी कॉल रिसीव नहीं हुई।
वहीं एलडीए वीसी सत्येंद्र सिंह यादव ने कहा है की मामले की पूरी जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। हालांकि वह पहले भी कई मामलों में इस तरह के दावे कर चुके है, लेकिन अब तक कोई नतीजा सामने नहीं आया है।
दूसरी ओर प्रमुख सचिव आवास सदाकांत ने बताया है कि लगातार भारी गड़बडि़यों की शिकायत मिलने के बाद अब एलडीए उपाध्यक्ष की फैसलों की जांच शुरू कराई जाएंगी। अधिकारियों के बदलाव के बाद इसमे तेजी आएंगी।