विधानमंडल दल के नेता बने अखिलेश, कहा झूठों वादों से बनी है भाजपा सरकार

अखिलेश यादव
कार्यक्रम में अखिलेश यादव, राजेंद्र चौधरी, रामगोविंद चौधरी व अन्य। फोटो-आरयू

आरयू ब्‍यूरो

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के प्रदेश कार्यालय पर आज हुई विधानमंडल की बैठक में सपा अध्‍यक्ष अखिलेश यादव को विधानमंडल दल का नेता चुना लिया गया। इसके साथ ही विधान परिषद में नेता के चुनाव के लिए अखिलेश यादव को अधिकृत कर दिया गया है। हालांकि मुलायम सिंह यादव, आजम खान और शिवपाल सिंह यादव कार्यक्रम में नहीं पहुंचे।

यह भी पढ़े- आजम न शिवपाल, ये बने नेता प्रतिपक्ष

इस मौके पर अखिलेश यादव ने विधानसभा चुनावों के नतीजों का जिक्र करते हुए कहा कि इन चुनावों में राजनीतिक भ्रष्टाचार का परिचय भाजपा ने कराया है। भाजपा सरकार के पास उत्तर प्रदेश के विकास की कोई योजना नहीं है। झूठे वादों से यह सरकार बनी है। उन्‍होंने आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि प्रदेश की जनता को सुनियोजित तरीके से गुमराह किया गया है। यह भ्रष्ट राजनीति का एक नया रूप सामने आ रहा है।

यह भी पढ़े- अखिलेश ने दिया इस्‍तीफ, कहा कभी-कभी वोट समझाने नहीं बहकाने से मिलता है

यूपी के पूर्व मुख्‍यमंत्री ने भाजपा सरकार की ओर निशाना साधते हुए कहा कि देश की राजनीति एक खतरनाक मोड़ पर है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अपने कट्टरपंथी एजेंडा को भाजपा सरकारों के माध्यम से लागू करने की साजिश कर रहा है। देश का धर्मनिरपेक्ष स्वरूप भी इससे खतरे में पड़ने की आशंका है।

सपा की हार पर उन्‍होंने कहा कि लोकतंत्र की व्यवस्था में सरकारों में उलटफेर होता रहा है। फिर भी यह उल्लेखनीय है कि विधानसभा के ये चुनाव विकास और जनहित के मुद्दों से हटकर हुए हैं। समाजवादी सरकार ने जनकल्याण की जो तमाम योजनाएं बनाई उनका अनुसरण करने को दूसरे राज्यों की सरकारें भी विवश हुईं। मेट्रो, एक्सप्रेस-वे, गोमती नदी के तटों के सौंदर्यीकरण, जनेश्वर मिश्र पार्क और समाजवादी पेंशन जैसी तमाम योजनाएं लागू की गई जिससे प्रदेश में विकास को गति मिली। किसानों की खुशहाली और कृषि की उन्नति समाजवादी सरकार की प्राथमिकता रही है।

आगे की रणनीति का जिक्र करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि हमें अपने सिद्धांतों और कार्यक्रमों को लेकर फिर जनता के बीच जाना है। अगले कुछ दिनों में प्रदेशवासी स्वयं महसूस करने लगेंगे कि वादे निभाने वाली समाजवादी सरकार और बहकाने वाली भाजपा सरकार में क्या अंतर है।

यह भी पढ़े- अब अखिलेश ने कहा एक ही जाति के लोगों को क्‍यों किया जा रहा निलंबित

आगे बोले कि विधायकों, पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को तुरंत पार्टी के सदस्यता अभियान से जुड़ जाना चाहिए। 15 अप्रैल 2017 से दो माह तक यह अभियान चलेगा। पार्टी जनहित के मुद्दों पर संघर्ष करेगी और अन्याय तथा भ्रष्टाचार के विरूद्ध अभियान चलाएगी।

इससे पहले अखिलेश यादव को नेता विधानमंडल दल बनाने का प्रस्ताव पूर्व मंत्री बलराम यादव और प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने किया। विधान परिषद में नेता चयन का अधिकार अखिलेश यादव को देने का प्रस्ताव पूर्व मंत्री राजेंद्र चौधरी ने प्रस्तुत किया।

पार्टी के विधायक दल की बैठक में मुख्य रूप से राम गोविंद चौधरी (नेता विरोधी दल), अहमद हसन, बलराम यादव, राजेंद्र चौधरी, बलवंत सिंह रामूवालिया, शैलेंद्र ललई, नरेश उत्तम, दुर्गा यादव, पारसनाथ यादव आदि उपस्थित रहे। हालांकि मुलायम सिंह यादव, आजम खान और शिवपाल सिंह यादव के नहीं पहुंचने से कार्यक्रम कुछ फीका सा रहा। तीनों दिग्‍गजों के नहीं पहुंचने के पीछे नेता प्रतिपक्ष के रूप में आजम खान और शिवपाल सिंह यादव की अनदेखी को भी जोड़कर देखा जाता रहा।