आरयू वेब टीम।
जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के तहत आज सुरक्षबल व पुलिस को संयुक्त आभियान में एक और बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। पुलवामा जिले में हुई मुठभेड़ में लश्कर-ए-तैयबा का शीर्ष कमांडर वसीम शाह और उसका एक साथी मारा गया।
ओसामा के नाम से भी पहचाने जाने वाले वसीम को दक्षिण कश्मीर में पिछले साल फैली अशांति का मास्टरमाइंड माना जाता था। वहीं आतंकियों की लश्कर में भर्ती भी करता था। शाह के ऊपर दस लाख का ईनाम घोषित था।
खास बात यह भी रही कि जहां मुठभेड़ हुई उस जगह को आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह माना जाता रहा है। लित्तर में पिछले चार साल में यह पहला आतंकवाद रोधी अभियान है। पुलिस को आतंकियों के पास से एके 47 एके 56 जैसे खतरनाक हथियार मिलें हैं।
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इसके साथ ही इस दौरान गोली लगने से एक नागरिक की भी मौत हो गई जबकि दूसरा घायल हो जाता है। मुठभेड़ के बाद क्षेत्रिय नागरिकों ने भी पुलिस व सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी की।
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आईजी मुनीर खान ने मीडिया को बताया कि पुलिस को दो आतंकियों के छिपे होने की जानकारी थी जिसके बाद पुलिस, आर्मी और सीआरपीएफ ने मिलकर यह ऑपरेशन चलाया। मुनीर ने आगे बताया कि वसीम शाह का मारा जाना बड़ी उपलब्धि है क्योंकि वह लश्कर के लिए भर्तियां कर रहा था।
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शाह के साथ उसका अंगरक्षक निसार अहमद मीर मुठभेड़ के समय वहां मौजूद था, दोनों ने भागने की भी कोशिश की लेकिन घेराबंदी को नहीं तोड़ पाया जो सीआरपीएफ और सेना की मौजूदगी से और मजबूत हो गई थी।
शोपियां के हेफ्फ-श्रीमाल निवासी शाह वर्ष 2014 में आतंकवादी समूह में शामिल हुआ था और उसे पिछले साल दक्षिण कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में फैली अशांति का ‘मास्टरमाइंड’ माना जाता था। पुलिस ने बताया कि शाह स्कूल के दिनों से ही लश्कर-ए-तैयबा आतंकी समूह का सक्रिय समर्थक था और उसने समूह के लिए संवाहक (कुरियर ब्वॉय) के तौर पर भी काम किया। उसके सिर पर 10 लाख रुपये का नकद इनाम था। पुलिस ने बताया कि वह दक्षिण कश्मीर में सुरक्षा बलों पर हुए कई हमलों में शामिल था।
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