आरयू ब्यूरो,
वाराणसी। इस वर्ष दो अन्य वैज्ञानिकों संग रसायन विज्ञान के नोबेल पुरस्कार के लिए चुने गए अमेरिकी वैज्ञानिक जोआचिम फ्रैंक शुक्रवार को धार्मिक नगरी वाराणसी पहुंचे हैं। चार दिवसीय दौरे पर वाराणसी पहुंचे डॉ. फ्रेंक का बाबतपुर एयरपोर्ट पर शानदार स्वागत हुआ। वो छह नवंबर को बीएचयू में व्याख्यान देंगे।
इससे पहले वो आज और कल काशी का मर्म समझेंगे। विश्व की सबसे पुरातन नगरी को जानेंगे। गंगा घाट पर घुमेंगे यहां की सांस्कृति और धार्मिक आस्थाओं से रूबरू होंगे। एयरपोर्ट पर उनका स्वागत एयरपोर्ट के अधिकारी सहित जाने-माने सर्जन डॉक्टर सुबोध सिंह ने किया।
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डॉ. फ्रैंक सुबोध सिंह के घर पर प्रवास करेंगे। डॉ सुबोध ने बताया कि नोबेल विजेता काशी में रहने के दौरान यहां के माहौल को परखेंगे। गंगा आरती देखेंगे व गंगा दर्शन करेंगे।बाबा विश्वनाथ के दर सहित अन्य मंदिरों में शीश नवाएंगे।
काशी से है गहरा नाता
बता दें कि इस नोबेल विजेता वैज्ञानिक का वाराणसी से प्रत्यक्ष तो नहीं लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से गहरा नाता है। दरअसल, रसायन के जिस शोध के लिये नोबेल पुरस्कार मिला है उस शोध को लिखने में वाराणसी के ही राजेंद्र कुमार अग्रवाल ने मदद की है।
बीएचयू से पढ़े राजेंद्र ने डॉ. फ्रैंक के साथ करीब सात साल तक काम किया है। बीएचयू आईएमएस से पढ़ाई पूरी करने के बाद राजेंद्र अमेरिका चले गए थे। वहां वो और उनकी पत्नी दोनों डॉ. फ्रैंक के साथ जुड़ गए।काम के दौरान डॉ राजेंद्र ने उन्हें वाराणसी के अध्यात्मिक और सांस्कृतिक रंग के बारे में बताया था। इसके बाद से ही वह वाराणसी आने को लेकर बेहद उत्सुक हैं।
छह नवंबर को लेंगे कार्यक्रम में हिस्सा
कोलंबिया यूनिवर्सिटी न्यूर्याक के प्रो. जोआचिम फ्रैंक बीएचयू के स्वतंत्रता भवन में शाम तीन बजे से ‘स्ट्रक्चर एंड फंक्शन ऑफ राइबोसोम एज सीन बाई क्रायों इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोपी’ विषय पर व्याख्यान देंगे। उन्हें एकल कण क्रायोइलेक्ट्रान सूक्ष्मदर्शी के संस्थापक के रूप में माना जाता है।
जैविक अणुओं की विलयन में उच्च रिजाल्यूशन संरचना निर्धारण के लिये क्रायो इलेक्ट्रान सूक्ष्मदर्शी विकसित करने के लिये उन्हें जैक्स क्रोबोकैट और रिचडै हेंडरसन के साथ 2017 में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। इसके अलावा उन्होंने बैक्टीरिया और यूकेरियोटिक राइबोसोम की संरचना और क्रियाविधि को समझाने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
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