आरयू ब्यूरो, वाराणसी। देश की आध्यात्मिक राजधानी कही जाने वाली वाराणसी में गंगा और वरुणा नदी का जलस्तर बढ़ने से जनजीवन प्रभावित हो रहा है। शहर के गंगा किनारे हरिश्चंद्र और मणिकर्णिका घाटों के पानी में डूब जाने से शवों का दाह संस्कार आसपास की गलियों में करना पड़ रहा। हालात को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चिंता जताई है और जरूरी निर्देश दिए हैं। यहां के सभी घाट और आस-पास के निचले इलाके पानी में डूब गए हैं, जिससे तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोग विस्थापन को मजबूर हैं।
केंद्रीय जल आयोग के अनुसार शुक्रवार की सुबह आठ बजे वाराणसी में गंगा नदी का जलस्तर चेतावनी बिंदु 70.262 से बढ़कर 70.86 मीटर पर पहुंच गया, जो कि खतरे के निशान 71.262 मीटर से महज 0.40 मीटर नीचे है। वरुणा नदी में भी जलस्तर उफान पर है। वरुणा के किनारे बसे रिहायशी इलाकों में पानी घुसना शुरू हो गया है। हालात को देखते हुए जिला प्रशासन बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत शिविरों में भेज रहा है। राहत शिविरों में विस्थापित लोगों को खाने-पीने के साथ ही मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।
वाराणसी के तटवर्ती इलाकों में बाढ़ का पानी आ जाने से नगवा, सामने घाट, मारुति नगर, काशीपुरम, रमना आदि क्षेत्र जलमग्न हो गये हैं। सामने घाट निवासी वीरेंद्र चौबे ने बताया कि जैसे ही घरों में पानी घुसना शुरू हुआ, उन्होंने अपने परिवार को गांव भेज दिया पर खुद रुक कर मकान में रखे सामान की हिफाजत के लिए परेशानियों से जूझ रहे हैं। हुकुलगंज निवासी चंद्रकांत सिंह ने बताया कि हुकुलगंज और नई बस्ती में 100 से अधिक घर बाढ़ से प्रभावित हैं।
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एक अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में गंगा के बढ़ते जल स्तर और बाढ़ पीड़ितों के विस्थापन को लेकर गुरुवार को चिंता व्यक्त की और अधिकारियों को फोन कर राहत शिविरों में रह रहे लोगों को हर सम्भव सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया।
प्रधानमंत्री ने जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा और आयुक्त दीपक अग्रवाल को फोन कर राहत शिविर में रह रहे लोगों को हर सम्भव सहायता प्रदान कराने के लिए कहा और आवश्यकता पड़ने पर सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय से संपर्क करने का निर्देश दिया।