आरयू वेब टीम। दिल्लीवासियों को दूषित हवा से निजात दिलाने के लिए राहत भरी खबर है। दिल्ली में पहला स्मॉग टावर लगाया गया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को इसका उद्घाटन किया। ये स्मॉग टावर दूषित हवा को अपने अंदर खीचेंगा और साफ हवा को छोड़ेगा। यह स्मॉग टावर दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस पर लगाया गया है।
स्मॉग टावर एक वर्ग किलोमीटर एरिया की प्रदूषित हवा को अपने अंदर लेकर साफ हवा की सप्लाई करेगा। स्मॉग टॉवर वातावरण से दूषित हवा को खींचेगा और साफ करके दस मीटर की ऊंचाई पर छोड़ेगा। ये केजरीवाल सरकार का पायलट प्रोजेक्ट है।
विशेषज्ञों के मुताबिक इस तरह के एंटी स्मॉग टॉवर अमेरिका में बने हैं। मिनेसोटा विश्वविद्यालय से इस टॉवर को बनाने का डिजाइन लिया गया है। उनके डिजाइन को भारतीय परिस्थिति के अनुसार तब्दील कर इस टॉवर को बनाया गया है। डिजाइन के लिए मिनेसोटा विश्वविद्यालय को रॉयल्टी अदा की गई है। अब विशेषज्ञ इसका अध्ययन करेंगे और उपयुक्त परिणाम आने पर दिल्ली के अलग-अलग जगहों पर इस प्रकार के और स्मॉग टॉवर लगाए जाएंगे।
ऐसे काम करता है काम
एंटी स्मॉग टॉवर में नीचे 1.40 मीटर व्यास के चारों तरफ 10-10 पंखे यानी कुल 40 पंखे लगाए गए हैं। ये पंखे टॉवर के ऊपरी हिस्से से प्रति सेकंड 960 घन मीटर दूषित हवा खीचेंगे। ये पंखे 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेंगे और हवा को शुद्ध करके बाहर फेकेंगे। पंखों के आसपास नोवेल ज्योमेट्री फिल्टरेशन सिस्टम (एनजीएफएस) से दो तरह के दस हजार फिल्टर लगेंगे। दूषित हवा उनसे छनने के बाद शुद्ध होकर टॉवर के निचले हिस्से से बाहर जाएगी। दावा है कि प्रति सेकंड करीब 864 घन मीटर स्वच्छ हवा टॉवर से बाहर निकलेगी। यह भी बताया गया कि आनंद विहार बस अड्डे के आसपास सर्दियों में पीएम 2.5 का स्तर 200 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक रहता है। इस टॉवर की मदद से पीएम 2.5 का स्तर को 60 फीसद तक कम होगा।
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विशेषज्ञों की मुताबिक इस तरह का स्मॉग टॉवर चीन में भी लगाया गया है, लेकिन दिल्ली में लगाए जा रहे टॉवर की तकनीक में अंतर है। चीन के टॉवर में नीचे से हवा खींचकर ऊपर छोड़ी जाती है, जबकि यहां पर लगाए जा रहे स्मॉग टॉवर ऊपर से प्रदूषित हवा को खींचकर नीचे छोड़ी जाएगी। इसके पंखे वायु को शुद्ध कर दस मीटर की ऊंचाई पर छोड़ेंगे। अनुमान है कि एक वर्ग किलोमीटर तक इसका प्रभाव रहेगा। एक्सपर्ट का कहना है कि स्मॉग टॉवर की तेज हवा की रफ्तार की जद में पेड़ भी आएंगे। इसके आसपास सड़क बनेगी और पानी निकालने के लिए ड्रेन भी बनाई जाएगी।