आरयू ब्यूरो, लखनऊ। केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में देर रात नशें में धुत जूनियर डॉक्टरों के बीच मारपीट का मामला सामने आया है, जिसके कारण घंटों तक मरीजों का इलाज बाधित रहा। बवाल साथी मरीज को आर्थोपेडिक वार्ड से बाहर निकालने को लेकर हुआ, आर्थो व मेडिसिन वार्ड के जूनियर डॉक्टरों के बीच बहस होने लगी जो मारपीट में बदल गई।
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मारपीट की सूचना केजीएमयू प्रशासन को दी गई, जिसके बाद मौके पर सीएमएस डॉ. एसएन शंखवार, चीफ प्रॉक्टर डॉ. आरएएस कुशवाहा, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. संतोष कुमार पहुंचे, जिसके बाद सभी जूनियर डॉक्टरों के साथ बंद कमरे में पूछताछ की गई। वहीं इस संबंध में सीएमएस डॉ. एसएन शंखवार ने बताया कि आर्थो व मेडिसिन वार्ड के जूनियर डॉक्टरों के बीच मारपीट हुई है। पूरे मामले में डीन स्टूडेंट वेल्फेयर की अध्यक्षता में चीफ प्रॉक्टर ने पांच सदस्यी जांच कमेटी बनाई है। जो मामले की जांच करेगी। वहीं इस दौरान सीएमएस ने तोड़फोड़ की बात से इंकार किया है।
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मिली जानकारी के अनुसार ट्रॉमा सेंटर में बीती रात करीब रात ढाई बजे आर्थोपेडिक वार्ड में डॉक्टरों के साथी मरीज को कुछ रेजीडेंट डॉक्टरों ने बाहर निकाल दिया। मरीज मेडिसिन वार्ड से आर्थो वार्ड में भेजा गया था, जिसे लेकर जूनियर डॉक्टरों के बीच कहासुनी होने लगी।
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बात इतनी बढ़ गई कि मारपीट तक पहुंच गई। तकरीबन दर्जन भर रेजीडेंट्स डॉक्टरों के बीच हाथापाई शुरू हो गई और जमकर लात-घूंसे चले। बीच में गार्डों ने मामला सुलझाना चाहा तो जूनियर डॉक्टरों ने उनकी भी पिटाई कर दी, साथ ही जमकर तोड़फोड़ भी की गयी। जिसकी वजह से रविवार को भी लगभग एक घंटे तक इलाज ठप हो गया। मेडिसिन और आर्थो वार्ड में भर्ती लगभग 80 से ज्यादा मरीजों का इलाज करने वाला कोई नहीं रहा। वहीं हाल ये था कि ट्रॉमा सेंटर में खड़ी पुलिस भी तमाशबीन बनी रही।