आरयू ब्यूरो, लखनऊ। कृषि कानून के विरोध में किसानों के प्रदर्शन पर पुलिस की कार्रवाई को लेकर शुक्रवार को राष्ट्रीय लोकदल ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है। रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजित सिंह ने किसानों के प्रति किये जा रहे व्यवहार अमानवीय करार देते हुए कहा कि केंद्र सरकार जिस प्रकार की सर्तकता दिल्ली के सभी बार्डरों पर दिखा रही है यदि वैसी सर्तकता देश की सीमाओं पर दिखाएं तो सेना के जवान सुरक्षित रहेंगे और देश में आतंकवाद की घटनाओं में कमी आयेगी।
वहीं राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मसूद अहमद ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा पारित किसान विरोधी कृषि कानूनों को वापस लेने की जायज मांगों के साथ किये जा रहे आंदोलन को निर्दयतापूर्वक कुचलने के लिए निर्दोष किसानों पर आंसू गैस के गोले और लाठीचार्ज करना केंद्र सरकार की किसान विरोधी मानसिकता का सजीव उदाहरण है। ऐसा लगता है कि देश के प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री ने लघु और सीमान्त किसानों की बहुतायत संख्या को छह हजार रूपया वार्षिक देकर खरीद लिया है और मनमाने कानूनों के द्वारा किसानों को गुलाम बनाने की योजना पर कार्य प्रारंभ कर दिया है। राष्ट्रीय लोकदल सरकार के इस कृत्य की घोर करता है और सड़क से संसद तक निरंतर संघर्षशील है।
प्रदेश अध्यक्ष ने आगे कहा कि किसान विरोधी नियमों को वापस लेने के लिए केवल पंजाब और राजस्थान के किसान ही नहीं, बल्कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ, मुजफ्फरनगर, बागपत बुलंदशहर, अलीगढ़ आदि जनपदों के किसान भी आंदोलित हैं। सरकार ने खाद, बीज से लेकर किसानों के बिजली के बिल की बढोत्तरी और सिचाई के साधनों में डीजल की मंहगाई आदि प्रत्येक प्रकार से किसानों के साथ छल किया है।
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इतना ही नहीं विगत छह वर्षो में दिल्ली का इतिहास गवाह है कि इस सरकार ने किसानों को दिल्ली की सीमा में घुसने नहीं दिया, ताकि किसान अपनी बात कह सके और न ही देश के प्रधानमंत्री ने अपने कृषि मंत्री को निर्देशित किया वे किसानों के बीच में जाएं और किसानों की समस्याओं का समाधान करे। सरकार केवल निर्दोष किसानों पर आंसू गैस के गोले छोडना तथा बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज करना ही अपना हक समझती है।
रालोद अध्यक्ष ने आगे कहा कि आज दिल्ली के सिंधु बार्डर पर भयानक लाठीचार्ज हुआ है और इससे पूर्व किसान आंदोलन में गाजियाबाद बार्डर पर लाठीचार्ज हुआ था, जिससे सैकड़ों किसान घायल हुये थे। सरकार केवल किसानों से टकराव लेकर अपनी पीठ थपथपाने में माहिर है। किसान समस्याओं पर सहानूभूति पूर्वक विचार करके सर्वमान्य समाधान निकालने में सरकार की कोई रूचि नहीं है। आज किसान मसीहा चौधरी चरण सिंह की आत्मा किसानों पर हो रहे अत्याचारों को देखकर निष्चित रूप से विचलित होगी।