किसानों के सर्मथन में उतरे शिवपाल ने कहा, किसानों से मंडियां छीनकर कॉरपोरेट कंपनियों को देना चाहती है भाजपा सरकार

शिवपाल यादव
शिवपाल सिंह यादव। (फाइल फोटो)

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। नए कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले किसानों पर हुए लाठीचार्ज को लेकर रविवार को प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने भाजपा सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस, शिवसेना व सपा समेत अन्‍य दलों द्वारा किसानों को समर्थन दिए जाने के बाद आज शिवपाल यादव भी किसानों के समर्थन में न सिर्फ खुलकर उतरें, बल्कि मोदी सरकार पर भी गंभीर आरोप लगाएं हैं। शिवपाल ने कहा है कि भाजपा सरकार किसानों से मंडियों छीनकर कॉरपोरेट कंपनियों को देना चाहती है।

आज अपने एक बयान में शिवपाल ने नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्‍ली जा रहे पंजाब व हरियाणा के किसानों पर लाठीचार्ज, आंसू गैस व पानी की बौछारें छोड़ने की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि अन्नदाताओं पर लाठियां बरसाने वाले सत्‍ता में बने रहने के काबिल नहीं हैं। लोकतंत्र में सांकेतिक विरोध प्रदर्शन का अधिकार सभी को है, यही लोकतंत्र की ताकत है, बड़ी सी बड़ी समस्याओं को बातचीत के द्वारा हल किया जा सकता है, जन आकांक्षा के दमन और लाठीचार्ज के लिए लोकतंत्र में कोई जगह नहीं है।

हमला जारी रखते हुए प्रसपा अध्‍यक्ष ने कहा कि भाजपा सरकार में सबसे अधिक परेशान किसान हैं। उन्‍हें फसल का लागत मूल्य भी नहीं मिल रहा। पिछले साल जो धान 2400 रुपये क्विंटल बिका था, वह इस बार 1100 से 1300 रुपये के बीच बिक रहा। वहीं गन्ने का समर्थन मूल्य कुछ सालों से एक रुपया भी नहीं बढ़ा है और अभी तक पिछले साल के गन्ना मूल्य का भुगतान नहीं सरकार द्वारा नहीं किया गया है।

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नए कानूनों पर सवाल उठते हुए शिवपाल ने कहा कि अधिकांश छोटे  किसानों के पास न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए लड़ने की ताकत है और न ही वह इंटरनेट पर अपने उत्पाद का सौदा कर सकते हैं। इससे तो किसान बस अपनी जमीन पर मजदूर बन के रह जाएगा। शिवपाल ने आज आरोप लगाते हुए यह भी कहा है कि नए कानूनों के जरिए भाजपा सरकार ने देश के अन्नदाताओं पर आजादी के बाद का सबसे बड़ा हमला किया है। सरकार के इन तथाकथित सुधारों में न्यूनतम समर्थन मूल्य की कोई चर्चा नहीं है।

पूर्व कैबिनेट मंत्री ने यह भी कहा है कि आज अगर चौधरी चरण सिंह, लोहिया और समाजवादियों की विरासत सत्‍ता में होती तो अन्नदाताओं के साथ इतना बड़ा छल नहीं हो सकता था। साथ ही शिवपाल ने कहा कि किसानों और विपक्ष की आम सहमति के बिना बनाए गए, इन कानूनों पर केंद्र सरकार पुनर्विचार करे।

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