आरयू वेब टीम। सीबीआइ की एक स्पेशल कोर्ट ने सोमवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप रे को कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में तीन साल की कैद की सजा सुनाई। दिलीप रे 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री थे, यह मामला झारखंड के गिरिडीह जिले में 105.153 हेक्टेयर गैर-राष्ट्रीयकृत और खाली पड़े कोयला खनन क्षेत्र के आवंटन से संबंधित है, जो 1999 में कोयला मंत्रालय की 14 वीं स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा कैस्ट्रोन टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के पक्ष में आवंटित किया गया था।
विशेष न्यायाधीश भरत पराशर ने कोयला मंत्रालय के तत्कालीन दो वरिष्ठ अधिकारियों- प्रदीप कुमार बनर्जी और नित्या नंद गौतम और कैस्ट्रोन टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के निदेशक महेंद्र कुमार अग्रवाल को भी तीन-तीन साल की सजा सुनाई है। साथ ही सभी दोषियों पर दस लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। अदालत ने कैस्ट्रोन टेक्नोलॉजीज लिमिटेड (सीटीएल) पर 60 लाख और कैस्ट्रॉन माइनिंग लिमिटेड (सीएमएल) पर दस लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने दोनों कंपनियों को भी दोषी करार दिया था।
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दिलीप रे का पक्ष रख रहे वकील मनु शर्मा ने कहा कि हम जमानत के लिए अदालत जा रहे हैं और इस फैसले के खिलाफ अपील भी करेंगे। सीबीआइ ने पहले अदालत से राय और अन्य दोषियों को आजीवन कारावास की सजा देने की अपील की थी।
दोषियों ने कोर्ट से अनुरोध किया कि वह उनकी उम्र को देखते हुए उनके प्रति उदार दृष्टिकोण अपनाए। छह अक्टूबर को कोर्ट ने मामले में उन्हें दोषी ठहराया था और कहा था कि इन लोगों ने कोयला ब्लॉक के आवंटन की खरीद को लेकर एक साथ साजिश रची थी।
मालूम हो कि दिलीप रे 1985 में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। वो 1985 से 1990 के बीच राउरकेला से विधायक भी रहे। दिलीप रे, बीजू पटनायक के काफी करीबी थे। बाद में वो पार्टी बदलकर बीजेपी में शामिल हो गए थे। 2014 में वह बीजेपी के टिकट पर राउरकेला से विधायक चुने गए। 2019 के चुनाव से पहले बीजेपी छोड़ दी थी।