कृषि कानूनों के खिलाफ अपनी मांगों पर अड़े रहें किसान, सरकार के साथ आठ घंटें की वार्ता रही बेनतीजा

अड़े रहें किसान
फाइल फोटो।

आरयू वेब टीम। तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर केंद्र सरकार के साथ गुरुवार को हुई किसान संगठनों की बैठक करीब आठ घंटे की बातचीत के बाद एक बार फिर बेनतीजा निकली। इस संबंध में कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों के साथ इस विषय पर ये चौथे चरण की बैठक थी।

उन्होंने बताया कि शनिवार दोपहर दो बजे यूनियन के साथ फिर से बैठक होनी है और शायद उस दिन हम किसी निर्णय पर होंगे। कृषि मंत्री से जब किसानों के आंदोलने समाप्त करने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि आज हुई बैठक में इस विषय पर कोई चर्चा नहीं हुई।

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आगे कृषि मंत्री ने इस बात का दावा किया कि दोनों पक्षों के बीच बेहतर बातचीत हुई है। उन्होंने कहा, “आज बहुत अच्छे वातावरण में चर्चा हुई है। किसानों ने बहुत सही से अपने विषयों को रखा है। जो बिंदु निकले हैं उन पर हम सब लोगों की लगभग सहमति बनी है, परसों बैठेंगे तो इस बात को और आगे बढ़ाएंगे।”

वहीं, मिले ब्रेक में किसानों ने सरकार द्वारा ऑफर किए गए खाने को नहीं खाया। विज्ञान भवन में सभी किसान अपने खाने को मिलकर खाते नजर आएं। किसान विज्ञान भवन में सरकार के साथ बैठक कर रहे हैं। इस दौरान किसानों ने कानून को लेकर अपनी छह आपत्तियां भी सामने रखी हैं।

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रिपोर्ट्स के मुताबिक किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं, जबकि सरकार उन्हें समझाने की कोशिश में जुटी है। दूसरी ओर सरकार और किसानों की वार्ता से पहले आज गृह मंत्री अमित शाह और पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की भी बैठक हुई है।

बैठक से पहले किसानों ने सरकार के सामने जो ड्राफ्ट भेजा है, उसमें कई प्रमुख मुद्दों को उठाया। ये है छह प्रमुख मांग-

-तीनों कृषि कानून वापस लिए जाएं।

-वायु प्रदूषण के कानून में बदलाव वापस हो।

-बिजली बिल के कानून में बदलाव है, वो गलत है।

-एमएसपी पर लिखित में भरोसा दे।

-कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पर किसानों को ऐतराज।

-डीजल की कीमत को आधा किया जाए।

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वहीं, किसानों ने चेतावनी भरे लहजे में गुरुवार को फिर कहा है कि अगर तीनों कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया गया तो वे दिल्‍ली के रास्‍ते ब्‍लॉक कर देंगे। किसानों ने कहा है कि सरकार विशेष सत्र बुलाकर इन कानूनों को रद्द कर दे अन्यथा किसान दिल्ली ब्लॉक कर देंगे। उन्होंने यह भी कहा है कि सरकार पंजाब के किसानों के अलावा पूरे देश के किसान नेताओं को वार्ता के लिए बुलाए।

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