किसान आंदोलन पर कनाडा के PM ने जताई चिंता, तो भारत ने जवाब में कहा, लोकतांत्रिक देश के आंतरिक मामलों में टिप्पणी करना अनुचित

किसान आंदोलन
फाइल फोटो।

आरयू वेब टीम। दिल्ली एनसीआर की सीमा पर डटे किसानों की आवाज अब देश ही नहीं विदेशों में भी गूंजने लगी है। सर्दी में किसानों पर पानी की बौछार और आंसू गैस के गोले दागने के लिए सरकार की आलोचना भी की जा रही है। दूसरी ओर कनाडा, ब्रिटेन समेत कई देशों से प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में आवाजें उठने लगी हैं। खासतौर से जिस देश में भारतीयों की आबादी ज्यादा है, वहां किसानों के पक्ष में आवाजें बुलंद हो रही हैं। किसानों के आंदोलन को लेकर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो समेत कई नेताओं ने प्रतिक्रिया दी है। वहीं कनाडाई नेताओं की टिप्पणी पर भारत के विदेश मंत्रालय ने नसीहत देते हुए कनाडाई नेताओं के बयानों को गैर जरूरी करार दिया है।

भारत ने कनाडाई नेताओं को नसीहत देते हुए कहा है कि एक लोकतांत्रिक देश के आंतरिक मामलों में इस तरह की टिप्पणी करना अनुचित है। विदेश मंत्रालय ने ट्रूडो के बयान पर कहा, ‘हमने कनाडाई नेताओं द्वारा भारत में किसानों से संबंधित मामले पर की गई टिप्पणियों को देखा है। यह खासतौर से एक लोकतांत्रिक देश के आंतरिक मामलों के संबंध में अनुचित है। साथ ही ये भी जरूरी है कि डिप्लोमेटिक बातचीत को किसी राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल किया जाए।

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गौरतलब है कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने किसानों के प्रदर्शन को लेकर​ चिंता जताई है। कनाडाई पीएम ने कहा कि उनकी सरकार भारतीय प्रशासन से बात कर रही। उन्होंने यह बातें गुरु नानक जयंती पर आयोजित एक वर्चुअल कार्यक्रम में कहीं। किसान आंदोलन पर कनाडा सरकार की ओर से यह पहला आधिकारिक बयान है। ट्रूडो ने कहा, ‘अगर मैं भारत में चल रहे विरोध प्रदर्शन की बात न करूं तो सही नहीं होगा, वहां स्थिति चिंताजनक है।’

कनाडा के पीएम ने कहा कि उनका देश हमेशा शांतिपूर्ण प्रदर्शन के समर्थन में है। हम बातचीत का समर्थन करते हैं। इसी वजह से हम कई चैनलों के जरिए भारत सरकार के समक्ष अपनी चिंता जता चुके हैं। उन्होंने कहा कि य​ह समझा जा सकता है कि कनाडा के रहने वाले सिख समुदाय के लोगों को भारत में अपनों की चिंता सता रही है। कनाडा के सांसदों रूबी सहोटा और टिम उप्पल ने भारत में चल रहे विरोध प्रदर्शन की आलोचना की थी।

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