आरयू वेब टीम। चारा घोटाले के दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को जमानत याचिका पर झारखंड हाइ कोर्ट से निराशा हाथ लगी है। लालू प्रसाद की तरफ से सजा की अवधि वाली सर्टिफाइड कॉपी जमा करने के लिए समय मांगा गया। इसके बाद अदालत ने उनकी सुनवाई छह हफ्ते के लिए टाल दी।
शुक्रवार को चारा घोटाले के चार विभिन्न मामलों में सजायाफ्ता राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की जमानत अर्जी पर सुनवाई हुई। इससे पहले सीबीआइ ने हाई कोर्ट में अर्जी दायर कर लालू यादव की मुश्किलें बढ़ा दी थीं। लालू पर जेल नियमावली के उल्लंघन की शिकायत करते हुए उन्हें रांची स्थित रिम्स से जेल भेजने का आग्रह किया गया था।
साथ ही सीबीआइ ने जमानत का विरोध करते हुए जिन बिंदुओं को उठाया है, उसका जवाब भी दाखिल किया जाएगा। इसके लिए वह पूरक शपथ पत्र दाखिल करेंगे। इसके लिए समय की जरूरत है। सीबीआइ की ओर से भी कुछ अन्य कारण का हवाला देते हुए दूसरे दिन सुनवाई करने का आग्रह किया गया। इस पर जस्टिस अपरेश सिंह की अदालत ने आग्रह स्वीकार करते हुए सुनवाई छह सप्ताह बाद निर्धारित कर दी।
बता दें कि शुक्रवार की सुनवाई से पहले गुरुवार को सीबीआइ ने झारखंड हाईकोर्ट में पूरक शपथपत्र दाखिल किया था। सीबीआइ ने शपथपत्र में कहा था कि लालू ने लगातार जेल नियमावली का उल्लंघन किया है और उनकी तबीयत भी अब स्थिर है। इसलिए, उन्हें राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स), रांची से बिरसा मुंडा जेल भेज देना चाहिए।
पिछली सुनवाई के दौरान भी सीबीआई ने जमानत का विरोध करते हुए दावा किया था कि लालू प्रसाद की आधी सजा पूरी नहीं हुई है, इसलिए जमानत का लाभ नहीं मिल सकता। इस पर हाईकोर्ट ने निचली अदालत और जेल के रिकॉर्ड की जांच कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया था और यह बताने को कहा था कि आधी सजा पूरी हुई है या नहीं।
यदि लालू प्रसाद को आज जमानत मिल जाती तो वह जेल से बाहर निकल जाते। उनके खिलाफ झारखंड में चारा घोटाले के पांच मामले चल रहे हैं। चार में उन्हें सजा सुनाई गई है। इनमें तीन में उन्हें आधी सजा काटने पर जमानत मिल गई है। एक मामले में अभी सीबीआइ कोर्ट में ट्रायल चल रहा है।