आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। राजधानी में संदिग्ध परिस्थितियों के बीच जान गंवाने वाले कर्नाटक कैडर के आईएएस अधिकारी अनुराग तिवारी के मौत की गुत्थी सुलझाने के लिए सीबीआई की टीम लगातार आगे बढ़ रही है। आज टीम ने अनुराग के करीबी दोस्त व एलडीए वीसी प्रभु एन सिंह के दो चालकों, पीएसओ समेत चार लोगों से लंबी पूछताछ की।
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सीबीआई की पूछताछ का क्रम अपरान्ह 12 बजे से शुरू होकर शाम तक चला। इस दौरान उसने सबसे पहले एलडीए के व्यवस्था अधिकारी व पीआरओ अशोक पाल सिंह से पूछताछ कर बयान दर्ज किया। इसके बाद ड्राइवर सुभाष और मुत्तबिर हुसैन से पूछताछ हुई और अंत में एलडीए उपाध्यक्ष के पीएसओ विशाल से बयान लिया गया।
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सूत्रों के अनुसार इस दौरान सीबीआई की टीम का मेन फोकस 16 मई की रात से लेकर अगले दिन सुबह तक के घटनाक्रम के बारे में बारिकी से जानने पर रहा। इसके अलावा अनुराग तिवारी की किसी ऐसी गतिविधी को भी जानने की कोशिश की गई, जो इन्हें अजीब लगी हो। साथ ही एलडीए वीसी से जुड़े सवाल भी सीबीआई ने किए। इस पूछताछ के बाद हो सकता है कि सीबीआई अब एलडीए वीसी से भी जल्द ही बातचीत करें।
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बताते चले अनुराग तिवारी की मौत से जुड़े इस बेहद पेचीदा मामले को सुलझाने के लिए अब तक सीबीआई पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर, अनुराग तिवारी के दोस्तों, परिजनों, मामले की पूर्व में जांच करने वाले एसआईटी के सदस्य, गेस्ट हाउस के कर्मचारी, सबसे पहले लाश देखने वाले पुलिसकर्मी, एफएसएल के डॉक्टर समेत दर्जनों लोगों से पूछताछ कर चुकी है। सीबीआई टीम पोस्टमॉर्टम करने वाली डॉक्टरों की टीम को लीड करने वाले डॉ. अनूप कुमार वर्मा, पीएम के दौरान मौजूद रहने वाले सीएमओ समेत अन्य लोगों से अभी पूछताछ नहीं कर सकी है।
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सीबीआई के एएसपी संतोष कुमार की अगुवाई में जांच कर रही टीम को अनुराग तिवारी की मौत के बाद घटनास्थल से लेकर पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट तक गड़बडियां ही नजर आई है, हालांकि अभी यह साफ होना बाकी है कि यह गड़बडि़यां किसी साजिश के तहत की गई या फिर गंभीर लापरवाही का एक हिस्सा थी।
सिस्टम के लिए भी जरूरी है, अनुराग की मौत का खुलासा
अनुराग के भाई मयंक तिवारी का कहना है कि वह अपने भाई को इंसाफ दिलाकर ही रहेंगे। एक ईमानदार अफसर का अगर यह हाल होगा तो भविष्य में कौन अफसर भ्रष्टाचार के खिलाफ ईमानदारी दिखाने की हिम्मत करेगा। उन्होंने सीबीआई से पहले मामले की जांच करने वाली एसआईटी पर काफी नाराजगी जताई। मयंक के अनुसार एसआईटी ने भी जिम्मेदारी से काम लेने की बजाए सबूतों को ही नष्ट किया।
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इतना ही नहीं उन लोगों ने हमारे मां-बाप की दवाईयों तक को अनुराग की बताते हुए केस को गलत दिशा में मोड़ने की कोशिश की। बता दें कि अनुराग के जन्मदिन पर ही उन्हें खोने का सदमा झेल रहे परिजन उन्हें इंसाफ दिलाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं।