आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण में भ्रष्टाचार की इबारत लिखने वालों के लिए आज का दिन डराने वाला रहा। एलडीए के भ्रष्ट अफसर, इंजीनियर और कर्मचारियों की नित नई करतूतों के चलते लखनऊ समेत प्रदेश भर में बदनाम हो चुके विभाग के मुखिया ने आज ऐसी कार्रवाई की जिसकी जरूरत एलडीए को काफी समय से महसूस हो रही थी।
वीसी प्रभु एन सिंह ने भ्रष्टाचार के मामले में लंबे से समय से चर्चित निलंबित बाबू मुक्तेशवर नाथ ओझा को न सिर्फ अपने कार्यालय में पुलिस बुलाकर गिरफ्तार कराया बल्कि सत्ता के करीबी बाबू पर मुकदमा भी दर्ज कराया है।
पत्नी के नाम पर कराया था फर्जी समायोजन
मुक्तेशवरनाथ ओझा को पत्नी रेनू ओझा के नाम पर गोमतीनगर के विराट खण्ड में फर्जी प्लॉट समायोजन के आरोप में निलंबित किया गया था। हालांकि इस मामले में जांच पूरी नहीं होने के चलते आगे की कार्रवाई नहीं हो सकी थी। इसके साथ ही नटवरलाल बाबू पर गोमतीनगर विस्तार के अन्य मामलों में भी फर्जी हस्ताक्षर कर घोटाला करने का आरोप है।
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गोमतीनगर थाने तहरीर पहुंचने में लग गए सात घंटे
वीसी के निर्देश के बाद गोमतीनगर पुलिस ने दोपहर करीब तीन बजे एलडीए कार्यालय से चर्चित बाबू को गिरफ्तार कर थाने ले जाया गया। बताया जाता है कि दोपहर से लेकर रात तक ओझा पहुंच वालों से अपने बचाव के लिए कभी बीमारी का हवाला देकर तो कभी फर्जी फंसाए जाने की बात कहकर पैरवी कराता रहा। समझा जा रहा है कि यह ओझा की ही पैरवी का दम था कि एलडीए अफसरों को उसके खिलाफ तहरीर थाने पहुंचवाने में करीब सात घंटे लग गए।
इतना ही नहीं इस दौरान एलडीए वीसी समेत तमाम अफसर भी इस बारे में मीडिया तक से बात करने से बचते रहे। एसओ गोमतीनगर ने बताया रात करीब दस बजे एलडीए के योजना अधिकारी सुरेन्द्र मोहन की तहरीर पर धारा 419, 420, 467, 468 व 471 के तहत एमएन ओझा पर मुकदमा दर्ज किया गया है। हालांकि बाद में पुलिस ने साक्ष्य के आभाव का बहाना बनाते हुए बाबू को थाने से ही छोड़ दिया।
पूर्व वीसी का बेहद करीबी बताया जाता है मुक्तेश्वर नाथ
आज एलडीए में मुक्तेश्वर नाथ की गिरफ्तारी सुन किसी को पहले तो यकीन नहीं हुआ, हर कोई यही कहता रहा पूर्व वीसी सत्येंद्र सिंह यादव के कार्यकाल में अफसर व इंजीनियरों को कुछ नहीं समझने वाले बाबू को ऐसा भी दिन देखना होगा किसी ने सोचा नहीं था। इसके साथ ही बाबू बसपा और उसके बाद भाजपा से विधायकी के टिकट के लिए भी दावेदारी ठोक चुका था। कई बार संगीन आरोपों में नाम उछला भी तो मामला मैनेज कर दिया गया। हालांकि मीडिया में काफी किरकिरी होने के बाद सत्येंद्र सिंह यादव ने ही एमएन ओझा समेत कुछ अन्य चर्चित बाबूओं को निलंबित किया था। लेकिन जनता की कमाई को लूटने के साथ ही विभाग को आर्थिक क्षति पहुंचाने वालों की जांच लटका दी गई।
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