आरयू ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों पर सोमवार को हुए मतदान में राजधानी लखनऊ की कैंट विधानसभा सीट फिसड्डी साबित हुई है। मौसम के ठीक होने के साथ ही मात्र एक विधानसभा सीट के लिए पूरे जनपद में सरकारी छुट्टी घोषित होने के बाद भी कैंट के मतदाता वोट डालने नहीं निकले। यहीं वजहें है कि आज शाम मतदान समाप्त होने तक 30 प्रतिशत भी लोगों ने वोटिंग नहीं की।
वोटिंग के इतने कम प्रतिशत को देखते हुए इसकी वजहें को मतदाताओं की उदासीनता, राजनीतिक पार्टियों की नीतियों के साथ ही अधिकारियों की नाकामी से भी जोड़ा जा रहा है। हालात इतने खराब रहें कि कैंट विधानसभा की वोटिंग ने लगभग 28 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया। जानकारी के अनुसार आज 29.55 प्रतिशत वोटिंग हुई है, जबकि इससे कम वोटिंग 28 साल पहले 1991 के विधानसभा चुनाव में हुई थी। उस समय कैंट सीट पर वोटिंग का प्रतिशत 28.42 था।
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इलाहाबाद से सांसद रीता बहुगुणा जोशी के सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई कैंट विधानसभा में सुबह से ही करीब-करीब सभी बूथों पर मतदान की स्पीड बेहद कम रही। धीमी गति के मतदान का क्रम शाम छह बजे तक बना रहा। आलम ये था कि लंबी लाइनों से पहचाने जाने वाले विधानसभा चुनाव में आज किसी भी बूथ पर लंबी लाइन ही नहीं लग सकी।
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मतदाताओं की उदासीनता के चलते शाम तक मात्र 29.55 प्रतिशत ही वोटिंग हो सकी। यह प्रतिशत पिछले विधानसभा चुनाव के प्रतिशत से लगभग आधा है। पिछले विधानसभा में करीब 55 फीसदी मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया था। डीएम कौशलराज शर्मा के अनुसार लगभग पौने चार लाख मतदाता वाली कैंट विधानसभा सीट पर आज महज 29.55 प्रतिशत ही मत पड़े। जिलाधिकारी ने बताया मतदान पूरी तरह शांतिपूर्ण ढ़ग से संपन्न हुआ। कुछ जगाहों पर ईवीएम में खराबी आयी थी, जिसे मौके पर ही ठीक करावा दिया गया था।
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कैंट इलाके में दिलकुशा स्थित केंद्रीय विद्यालय और संस्कृत संस्थान जैसे वीआइपी बूथों पर भी अधिकतर मतदाता नहीं निकले। दूसरी ओर उपचुनाव में कैबिनेट मंत्री महेंद्र सिंह ने गीता पल्ली और मेयर संयुक्ता भाटिया ने परिवार के साथ आलमबाग बूथ पर अपना वोट दिया।
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मात्र 20 प्रतिशत मतदाताओं का चुना होगा विधायक
आज लखनऊ कैंट के 30 प्रतिशत से भी कम मतदाताओं ने अपना विधायक चुना है। वहीं इस सीट से भाजपा उम्मीदवार सुरेश तिवारी, सपा के कैप्टन आशीष चतुर्वेदी, कांग्रेस के दिलप्रीत और बसपा के अरुण द्विवेदी समेत कुल 13 प्रत्याशी मैदान में थे। वोटिंग का प्रतिशत देखकर समझा जा रहा है इस बार कैंट से चुने जाने वाले विधायक के हिस्से बमुश्किल 20 प्रतिशत भी वोट नहीं आएंगे।