आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। मदरसों को लेकर यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने एक विवादित बयान दिया है। वसीम के बयान के बाद विवाद शुरू हो गया है। उन्होंने मदरसों के स्वरूप को बदलने की मांग की है। इसे बारे में वसीम रिजवी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर मांग की है कि वक्त आ गया है कि मदरसा शिक्षा को मुख्य धारा से जोड़ा जाए।
साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि मदरसों को भी सीबीएसई और आईसीएसई की मान्यता मिलनी चाहिए। इसके साथ ही बोर्ड ने मदरसों में गैर मुस्लिम छात्रों को भी शिक्षा दिए जाने की वकालत की है। इस बीच उन्होंने एक विवादित बयान भी दे डाला। उन्होंने कहा कि ‘मदरसे इंजीनियर, डॉक्टर नहीं बल्कि आतंकवादी पैदा करते हैं।
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वसीम रिजवी ने मीडिया से बात करते हुए आज विवादित बयान देते हुए कहा कि ‘मदरसों को सीबीएसई व आईसीएसई बोर्ड में शामिल करने चाहिए। मदरसों में गैर मुस्लिम छात्रों को भी पढ़ने की इजाजत मिलनी चाहिए एवं धार्मिक शिक्षा वैकल्पिक होनी चाहिए। मैंने इस बाबत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को इस बाबत पत्र लिखा है। यह हमारे देश को और भी मजबूत बना देगा। उन्होंने विवादित बयान देते हुए कहा कि, कितने मदरसों ने इंजीनियर, डॉक्टर, आईएएस अधिकारी बनाए हैं? हां, लेकिन कुछ मदरसों ने आतंकवादी जरूर पैदा किए हैं।
ओवैसी ने किया पलटवार
वसीम रिजवी के इस तरह के बयान के बाद एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पलटवार करते हुए कहा कि वसीम एक बड़े जोकर ही नहीं बल्कि बहुत अवसरवादी व्यक्ति हैं। उन्होंने अपनी आत्मा आरएसएस के हाथों बेच दी है। मैं उनको चुनौती देता हूं कि वो किसी ऐसे शिया या सुन्नी मदरसे के बारे में बताएं, जहां इस तरह की शिक्षा दी जाती हो। अगर उनके पास ऐसा कोई सबूत हैं तो गृह मंत्रालय को जाकर दें।
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उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने मदरसों व इस्लामी शैक्षणिक संस्थानों को और बेहतर बनाने की कवायद के तहत इन संस्थानों में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण (एनसीईआरटी) की किताबें पढ़ाने का निर्णय लिया था। इस बाबत उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने कहा था कि मदरसों में एनसीईआरटी किताबों से पढ़ाई होगी। आधुनिक विषयों के साथ स्कूलों के संग बराबरी कर पाएंगे, आलिया स्तर पर गणित और साइंस अनिवार्य होगी।