मदरसों में ड्रेस कोड पर आजम का योगी पर कटाक्ष, नाफरमानी पर क्‍या गिरा दिए जाएंगे भवन

आजम खान
फाइल फोटो।

आरयू ब्‍यूरो, 

लखनऊ। मदरसों में ड्रेस लागू करने की योजना का बुधवार को मुस्लिम धर्म गुरुओं के विरोध के बाद सपा के वरिष्‍ठ नेता आजम खान ने न सिर्फ विरोध किया, बल्कि योगी सरकार के इस फैसले पर जमकर हमला भी बोला। आजम ने कहा कि सरकार ने अभी आधी बात की है। सजा नहीं बताई है।

आजम खान ने अपने एक बयान में मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ से सवाल करते हुए कहा कि अगर ड्रेस कोड लागू न हुआ और मदरसों ने लागू नहीं किया तो सजा क्या होगी, यह भी बता दें? योगी सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ड्रेस लागू न होने की परिस्थिति में क्‍या मदरसों के भवन को गिरा दिया जाएगा या टीचर्स पर तेजाब डाला जाएगा। उन्‍होंने कहा कि ड्रेस कोड को न मानने वालों को सजा क्या मिलेगी यह भी साथ-साथ बता दिए होते तो ज्यादा अच्छी बात होती।

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घोषित से ज्यादा खतरनाक है अघोषित इमेरजेंसी 

मीडिया से बात करते हुए कहा कि ‘साहब’ जो चाहे करें चाहे मदरसों में योगी सरकार द्वारा एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू करे। अगर मदरसे ऐसा न करें तो क्या होगा? ये भी बताए। योगी सरकार पर तंज कसते हुए सपा नेता ने कहा कि सरकार को हर जुर्म की सजा भी घोषित कर देनी चाहिए, ताकि एक बार फिर बहस में यह बात आ जाए कि इंदिरा गांधी की इमरजेंसी क्या थी और नरेंद्र मोदी की इमरजेंसी क्या है? उन्‍होंने कहा इंदिरा गांधी की इमरजेंसी घोषित थी। नरेंद्र मोदी की अघोषित है। घोषित से अघोषित इमेरजेंसी ज्यादा खतरनाक है।

बता दें कि मंगलवार को मुस्लिम वक्फ एवं हज राज्यमंत्री मोहसिन रजा ने मदरसों में ड्रेस कोड लागू करने का एलान किया था। मोहसिन रजा की इस घोषणा के बाद मुस्लिम धर्म गुरुओं और नेताओं ने इसका विरोध शुरू कर दिया है।

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मदरसों में ड्रेस लागू करने की योजना का विरोध करते हुए बुधवार को मदरसा दारुल उलूम फिरंगी महली ने कहा कि मदरसों में मुश्किल से एक या दो प्रतिशत मुस्लिम बच्चे ही शिक्षा लेते हैं। सरकार को उनके लिए चिंता करने की जरूरत नहीं है। उनके लिए क्या बेहतर है, और क्या नहीं, यह हम पर छोड़ दें।

वहीं सूफी निजाम ने मदरसों के पारंपरिक पहनावे पर सरकार द्वारा छेड़छाड का आरोप लगाते हुए सवाल किया कि देश भर में चल रहे कॉलेजों और स्कूलों में ड्रेस कोड लागू करने का अधिकार संस्था की प्रबंध समिति को होता है, फिर मदरसों के साथ यह भेदभाव क्यों?

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