आरयू वेब टीम। लंबे समय से कश्मीर विवाद को लेकर लग रही तमाम अटकलों पर आज विराम लग गया है। अब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट कर दिया है कि कश्मीर पर उनकी ओर से मध्यस्थता की कोई पेशकश नहीं है। यह जानकारी भारतीय राजदूत ने दी है।
राजदूत हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि कश्मीर पर अमेरिका की दशकों पुरानी नीति मध्यस्थता की नहीं रही है, बल्कि उनकी नीति भारत और पाकिस्तान को द्विपक्षीय मतभेदों को सुलझाने के लिए प्रोत्साहित करना है।
साथ ही राजदूत हर्षवर्धन ने अमेरिकी राष्ट्रपति के पसंदीदा समाचार चैनल फॉक्स न्यूज को बताया, “राष्ट्रपति ट्रंप ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर में मध्यस्थता करने की उनकी पेशकश भारत और पाकिस्तान दोनों को स्वीकार करने पर निर्भर है।
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उन्होंने आगे कहा कि चूंकि भारत ने मध्यस्थता की पेशकश को स्वीकार नहीं किया है, इसलिए उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि यह अब मेज पर नहीं है। साथ ही भारत ने अमेरिका को यह स्पष्ट कर दिया है कि इस मुद्दे पर कोई भी चर्चा केवल पाकिस्तान के साथ और केवल द्विपक्षीय रूप से होगा, जो लंबे समय से भारत की घोषित स्थिति है।
अमेरिका की दशकों पुरानी नीति के संदर्भ में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “यह संयुक्त राज्य की दीर्घकालिक नीति है। श्रृंगला ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस भी इस मुद्दे पर बहुत स्पष्ट थे। इस मुद्दे को भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय रूप से हल करना होगा।
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उल्लेखनीय है कि विदेश विभाग के प्रवक्ता मॉर्गन ऑर्टागस ने पिछले हफ्ते कहा था कि कश्मीर पर उसकी नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है क्योंकि उसने भारत और पाकिस्तान को संयम बनाए रखने और अपने मतभेदों को सुलझाने के लिए सीधे बातचीत करने का आह्वान किया है।
ट्रंप के बयान के बाद लग रहीं थीं अटकलें
बताते चलें कि बीती 22 जुलाई को, व्हाइट हाउस में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ मीडिया के सामने राष्ट्रपति ट्रंप ने यह कहकर भारत को चौंका दिया कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर मुद्दे पर उनकी मध्यस्थता की मांग की है।
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भारत ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अमेरिकी राष्ट्रपति से ऐसा कोई अनुरोध नहीं किया गया है और सभी मुद्दों को इस्लामाबाद के साथ द्विपक्षीय रूप से हल करना होगा। वहीं एक सप्ताह बाद ट्रंप ने कहा था कि कश्मीर मुद्दे को हल करने के लिए भारत और पाकिस्तान पर निर्भर था, लेकिन वह मदद करने के लिए तैयार था अगर दो दक्षिण एशियाई पड़ोसी चाहते थे कि वह इस मुद्दे को हल करने में मदद करे।