महिला अपने आप में ऐसी संस्था, जो संस्कारवान समाज का करती है निर्माण: आनंदीबेन पटेल

कार्यक्रम में अपने विचार रखतीं राज्यपाल।

आरयू ब्यूरो,लखनऊ। राष्ट्रीय महिला संसद के आयोजन का उद्देश्य महिलाओं के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक सशक्तीकरण को बढ़ाने के साथ समाज में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने का वातावरण बनाने है। उक्त बातें सोमवार को यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने द्वितीय राष्ट्रीय महिला संसद के उद्घाटन समारोह में वीडियो कांन्फ्रेसिंग के माध्यम से कार्यक्रम को संबोधित कर कही। राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्रीय महिला संसद का यह मंच समाज की उन महान महिला विभूतियों को, जिन्होंने राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक, खेल, कला, संस्कृति, उद्योग, व्यवसायिक तथा मीडिया आदि क्षेत्रों में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है, को अनुभव साझा करने का अवसर प्रदान करता है।

महात्‍मा गांधी की बात करते हुए राज्‍यपाल ने कहा कि राष्ट्रपिता भी महिला अधिकारों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते थे। भारतीय राजनीति में गांधी के पर्दापण के साथ महिलाओं के विषय में एक नये नजरिये की शुरूआत हुई। नारी के संबंध में गांधी जी की समन्वित सोच व सम्मानपूर्ण भाव का आधार रहा है। वे महिलाओं को एक ऐसी नैतिक शक्ति के रूप में देखना चाहते थे, जिनके पास अपार नारीवादी साहस हो। राज्यपाल ने आगे कहा कि जिस समाज में महिलाओं का सम्मान नहीं होगा वो कभी आगे नहीं बढ़ सकता। महिला अपने आप में एक ऐसी संस्था है, जो संस्कारवान समाज का निर्माण करती है। महिलाएं ही बच्चों में संस्कारों का बीजारोपण करती हैं।

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आनंदीबेन पटेल ने कहा कि महिला सशक्तीकरण का सीधा सा मतलब महिलाओं को सामाजिक हाशिए से हटाकर समाज की मुख्यधारा में लाना, निर्णय लेने की क्षमता का विकास करना, उनमें पराधीनता और हीन भावना को समाप्त करना है। महिलाएं शक्तिशाली बनती हैं तो वे अपने जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकती हैं। महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हों और देश के विकास में अपना योगदान दें। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तीकरण पुरूषों और महिलाओं के बीच असमानताओं को दूर करने का एक सशक्त माध्यम है, जो महिलाओं को अपने जीवन के बारे में चुनाव करने की क्षमता को मजबूत भी करती है।

इसके अलावा आनंदीबेन पटेल ने कहा कि आज हमें उन ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों की महिलाओं की ओर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, जो किन्हीं परिस्थितियों में विकास की मुख्य धारा से वंचित रही हैं और अपने अधिकारों के बारे में जानती भी नहीं है। हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरी क्षेत्रों में स्थिति अच्छी है, परन्तु इस बात को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता कि आज भी देश की अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में ही रहती है। ग्रामीण महिलाओं को केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा उनके कल्याण के लिये चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी दी जाये और उनके सशक्तिकरण के लिये जो आवश्यक हो वह कदम उठाये जायं।