आरयू वेब टीम।
बिहार के मुंगेर में खेलते समय 225 फीट गहरे बोरवेल में गिरी तीन वर्षीय मासूम सना उर्फ सन्नो करीब 31 घंटें तक मौत से जूझने के बाद आखिरकार बुधवार की रात करीब साढ़े नौ बजे बाहर निकाल ली गयी है।
जिसके बाद पहले से ही मौके पर मौजूद डॉक्टरों की टीम के देख-रेख में उसे एंबुलेंस द्वारा सदर अस्पताल ले जाया गया। जहां इलाज और समुचित निगरानी के बाद गुरुवार को बच्ची की हालत में कुछ सुधार बताया जा रहा है।
वहीं मासूम की जान बचाने के लिए जी-जान से जुटी रेस्क्यू टीम को लोगों ने धन्यवाद देने के साथ ही फूल मालाओं से स्वागत किया, जबकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इस सफलता के लिए टीम को बधाई दी है।
ये था पूरा मामला
बताते चलें कि मुंगेर के मुर्गियाचक निवासी उमेश नंदन साव ने सोमवार को घर के एक कमरे में समरसेबुल के लिए बोरिंग करवायी थी। इसमें पाइप डाल कर आधे बोरवेल में ग्रेबुल डाला जा चुका था और बोरवेल को एक पतले बोरे से ढंक दिया गया था।
बचाने की कोशिश में और नीचे चली गयी बच्ची
मंगलवार की अपरान्ह करीब तीन बजे खेलते समय उसकी नतनी सन्नो गिरकर 25 फीट की गहराई पर फंस गयी। जिसके बाद लोगों ने अपने स्तर से उसे निकालने का प्रयास शुरू किया, लेकिन बोरवेल में डाले गये पाइप के हिलने से मासूम फिसलकर 43 फुट नीचे जाकर फंस गयी।
इसी बीच सूचना मिलने पर जिला प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर बचाव कार्य शुरू किया। मंगलवार शाम सात बजे जेसीबी मंगाकर बोरवेल के समानांतर सड़क की खुदाई शुरू की गयी।
आती गयी मुश्किलें बढ़ता गया हौसला
बेहद कठिन ऑपरेशन और मामले की गंभीरता को देखते हुए रात करीब दस बजे खगड़िया और भागलपुर से एसडीआरएफ की टीमों ने घटनास्थल पर पहुंचकर बचाव कार्य शुरू किया, लेकिन 10 फुट की खुदाई के बाद जेसीबी से और गड्ढा खोदना मुश्किल हो गया। इसके बाद एसडीआरएफ ने पोकलेन मंगवायी। जिसकी सहायता से 25 फुट तक की खुदाई की गयी। आगे के अभियान के लिए पोकलेन से खुदाई करना भी मुश्किल हो गया।
मशीनों के फेल होने बाद एसडीआरएफ की टीम खुद कुदाल व फावड़े से खुदाई में जुट गयी। बच्ची के निकालने में देर होने और किसी अनहोनी की आशंका पर बुधवार दोपहर लगभग तीन बजे एनडीआरएफ की टीम को पटना से हेलीकॉप्टर से मुंगेर लाया गया और 3:20 बजे एनडीआरएफ की टीम ने खुद रेस्क्यू ऑपरेशन की कमान संभाली।
वहीं रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान कई जरूरी इक्यूपमेंट उपलब्ध नहीं रहने के कारण एसडीआरएफ को जुगाड़ का भी सहारा लेना पड़ा। 25 फुट की गहराई पर हवा की कमी के कारण ऊमस से परेशानी होने लगी। इसके बाद गड्ढ़े के ऊपर बांस-बल्ले के सहारे दो पंखे और एक एजॉस्ट फैन लगाया गया। पर गड्ढ़े की गहराई बढ़ने पर वह भी बेअसर हो गए। हालांकि टीम ने हार नहीं मानी और अपना काम तेजी से जारी रखा।
वहीं 45 फुट गड्ढे खोदने के बाद जब बोरवेल में फंसी बच्ची के समानांतर सुरंग की खुदाई की जाने लगी, तब पानी के संभावित रिसाव व बहाव की स्थिति से निबटने के लिए सेफ्टी टैंक की व्यवस्था की गयी। समानांतर सुरंग खोदने के बाद आखिरकार उसी के रास्ते एनडीआरएफ की टीम बुधवार की रात सन्नो को लेकर ऊपर आयी तो परिजनों के गम के आंसू खुशी में बदल गए। वहीं बच्ची ने इशारों में टीम और लोगों धन्यवाद दिया तो वहां मौजूद हर कोई भावुक हो उठा।
टीम को बधाई के साथ ही मुख्यमंत्री ने दिए बेहतर इलाज के निर्देश
वहीं इस कामयाबी के बाद सीएम नीतीश कुमार ने एक बयान जारी करते हुए ऑपरेशन पर खुशी जाहिर करने के साथ ही रेस्क्यू में लगी एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की टीम के साथ ही आपदा प्रबंधन विभाग को धन्यवाद दिया।
साथ ही मुख्यमंत्री ने बच्चे के बेहतर इलाज के लिए चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराने का भी अधिकारियों का निर्देश दिया है। इस दौरान सीएम ने कहा कि सन्नो का सकुशल रेस्क्यू बेहतर टीम समन्वय का परिणाम है। उन्होंने टीम का सहयोग करने के लिए बच्ची के घरवालों के साथ ही स्थानीय लोगों तारीफ की।