आरयू ब्यूरो, लखनऊ। एक ओर प्रदर्शन करने पर किसान, युवाओं व विपक्षी दलों पर मुकदमें दर्ज किए जा रहें हैं, तो वहीं दूसरी तरह राजनीतिक दलों के नेता अपने पर संगीन धाराओं पर दर्ज की गयी एफआइआर को ही खत्म कराने के जुगाड़ में लगे हैं।
शुक्रवार को इन सबके बीच बसपा सुप्रीमो मायावती ने भाजपा समेत सभी राजनीतिक दलों के नेता व कार्यकर्ताओं पर लगे मुकदमें समाप्त किए जाने की मांग उठाई है। हालांकि राजनीतिक पार्टियों के नेता व कार्यकर्ताओं को पवित्र कर देने वाली मायावती की इस मांग के बाद सोशल मीडिया पर अलोचना भी शुरू हो गयी है।
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आम लोगों का मानना है कि राजनीतिक चमकाने के लिए नेता व कार्यकर्ताओं को कोरोना काल जैसी संकट की घड़ी होने के बावजूद मुकदमा मुक्त करने का राजनीतिक पार्टियां अवसर ढ़ूढ रहीं हैं, लेकिन नौकरी के लिए बेरोजगारों, मानदेय बढ़ाने के लिए शिक्षामित्रों, अपने हक के लिए किसान व अन्य द्वारा सड़कों पर मजबूरी में प्रदर्शन करने वाले के बारे में सत्ता पक्ष या विपक्ष को नहीं सोचना चाहिए।
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बताते चलें कि पूर्व में मुजफ्फरनगर दंगों से जुड़े मामले में आरोपित कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा, विधायक संगीत सोम व कपिल देव पर दर्ज मुकदमें वापस लेने के लिए हाल ही में योगी सरकार ने कोर्ट में अर्जी दी है।
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सरकार के इस कदम के बाद शुक्रवार को यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने सोशल मीडिया के जरिए अपनी ओर से भी मांग उठाई है। मायावती ने आज ट्विट कर कहा है कि यूपी में बीजेपी के लोगों के ऊपर राजनैतिक द्वेष की भावना से दर्ज मुकदमें वापस होने के साथ ही सभी विपक्षी पार्टियों के लोगों पर भी ऐसे दर्ज मुकदमें भी जरूर वापस होने चाहिए। बीएसपी की यह मांग।