आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से पूर्व मुख्यमंत्रियों के सरकारी आवास खाली करने को लेकर राजनीति तेज हो गई है। जहां विपक्ष के आवास न खाली करने पर भाजपा इसे मुद्दा बनाकर विरोधियों को घेरने की तैयारी कर रही है, तो वहीं दूसरी तरफ मायावती ने आज बंगला बचाने की एक और कोशिश की है।
बसपा सुप्रीमो के सरकारी बंगला छोड़ने को लेकर शुक्रवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सदस्य सतीश चंद्र मिश्रा और लालजी वर्मा मायावती के प्रतिनिधि के रूप में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने एनेक्सी पहुंचे। दोनों नेताओं ने योगी से मुलाकात कर उन्हें पत्र सौंपाकर बसपा शासनकाल में हुए कैबिनेट के फैसले की जानकारी दी।
मुख्यमंत्री से मुलाकात के दौरान सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि वर्तमान समय में बसपा मुखिया जिस 13 ए माल एवेन्यू में रह रही है वह मायावती का सरकारी आवास नहीं है। उनका सरकारी आवास तो 6, लाल बहादुर शास्त्री (एलबीएस) मार्ग है, जिसे वह जल्द ही खाली कर देंगी।
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पत्र में मायावती ने लिखा है कि 13 जनवरी 2011 में बसपा शासनकाल में 13 माल एवेन्यू कांशीराम जी यादगार स्थल घोषित किया जा चुका है। उसके कुछ भाग में मुझे इस उद्देश्य से रहने की अनुमति दी गई थी कि इस स्थल का रखरखाव एवं सुरक्षा मेरी देखभाल में हो सके।
वहीं पत्र में मायावती ने लिखा है कि बतौर पूर्व मुख्यमंत्री मेरे नाम 6 माल एवेन्यू बंगला आवंटित किया गया था। शासन से उसे खाली करने का नोटिस जारी नहीं हुआ है। बसपा सुप्रीमो को बंगला खाली करने का नोटिस त्रुटिपूर्ण है। अत: इस बारे में आदेश दुरस्त होने तक मायावती को बंगले में रहने दिया जाए।
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योगी को भेजे गए पत्र में यह भी लिखा है कि कांशीराम यादगार स्थल का रखरखाव जो प्राईवेट कर्मी करते थे वह मेरे ही बंगले में रहकर करते थे, लेकिन अब जो मेरा निजी मकान है, उसमें इतनी जगह नहीं है कि मैं इन कर्मियों को रख सकूं। इसलिए इनके ठहरने की व्यवस्था करने तक मुझे समय दिया जाए।
साथ ही उन्होंने पत्र में ये भी अनुरोध किया है कि कांशीराम जी यादगार विश्राम स्थल की देख-रेख और सुरक्षा राज्य संपत्ति विभाग करे और अगर किसी तरह की दिक्कत विभाग को होती है तो पहले की तरह ही बसपा को इसके लिए अधिकृत करे।