आरयू वेब टीम। मणिपुर में युवतियों के साथ ही हैवानियत व पीएम नरेंद्र मोदी को संसद में बुलाने की मांग को लेकर संसद के मानसून सत्र के दौरान विपक्षी दलों का हंगामा शुक्रवार को भी जारी रहा है। लोकसभा में किसी तरह हंगामे के बीच थोड़ा सा काम हुआ है, लेकिन काले कपड़े पहनकर आए विपक्षी सदस्यों ने वेल में आकर नारेबाजी की। विपक्षी दल मणिपुर हिंसा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सदन में आकर बयान देने की पहले दिन से ही मांग कर रहे हैं, जबकि सरकार इस मुद्दे पर चर्चा कराने की बात कह रही है। वहीं मणिपुर की स्थिति से संबंधित विपक्षी सदस्यों की मांगों को लेकर शुक्रवार को राज्यसभा को पूरे दिन के लिए और लोकसभा को 31 जुलाई तक स्थगित कर दिया गया।
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दिनभर की कार्यवाही शुरू होने के बाद अध्यक्ष ने प्रश्नकाल शुरू किया, लेकिन विपक्षी सदस्यों ने अपनी मांग के समर्थन में नारे लगाए। लोकसभा में कांग्रेस के नेता विपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा, नियम 198 के तहत हमने अविश्वास प्रस्ताव दाखिल किया है। इस नियम के तहत, चर्चा (मणिपुर के संबंध में) तुरंत होनी चाहिए। सरकार नहीं चाहती कि सदन के अध्यक्ष उनसे सवाल पूछें। वे मुद्दों से बचने के लिए बहाने दे रहे हैं। साथ ही अधीर रंजन चौधरी ने 1978 का उदाहरण देते हुए कहा कि सदन में अविश्वास प्रस्ताव पर उसी दिन बहस हुई, जिस दिन इसे स्वीकार किया गया था।
जब जरूरत होगी, तब कराएंगे प्रस्ताव पर चर्चा: संसदीय कार्य मंत्री
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सरकार अध्यक्ष द्वारा तय किए गए दिन और समय पर बहस के लिए तैयार है और नियम दस दिन का समय प्रदान करते हैं। स्पीकर ओम बिरला ने बुधवार को विपक्षी सदस्यों द्वारा समर्थित अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था।
जोशी ने कहा कि विपक्ष शांतिपूर्ण ढंग से चर्चा में भाग नहीं ले रहा है। वे संसद में किसी भी बिल को पारित करने में सहयोग नहीं करते। हम उनसे रचनात्मक सुझाव लेने को तैयार हैं, लेकिन वे अचानक अविश्वास प्रस्ताव ले आए। जब भी जरूरत होगी, तब हम अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे और चूंकि हमारे पास संख्या है, इसलिए हमें कोई समस्या नहीं है। अगर वे चाहते हैं कि (मणिपुर के संबंध में) सच्चाई सामने आए, तो इस (संसद) से बेहतर कोई मंच नहीं है।