16 साल बाद मुख्तार अंसारी को MP-MLA कोर्ट से मिली जमानत

मुख्तार अंसारी को जमानत
मुख्तार अंसारी (फाइल फोटो।)

आरयू ब्यूरो,लखनऊ/मऊ। बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम रामसुध सिंह की अदालत ने मंगलवार को एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत देने का आदेश पारित किया है। मुख्तार पर कई मामले विचाराधीन है, फिलहाल जमानत मिलने से उनके समर्थकों में उत्साह का माहौल बना हैं। मुख्तार के वकील लियाकत अली ने जमानत मिलने की पुष्टि की है।

वकील लियाकत अली ने बताया कि सीआरपीसी की धारा 436 ए के तहत, जमानत के लिए गाजीपुर की जिला एवं सत्र न्यायालय की एडीजे फर्स्ट कोर्ट में अर्जी डाली गयी थी। आज मिली जमानत के बाद भी मुख्तार अंसारी फिलहाल जेल से रिहा नहीं हो पाएंगे। उनके ऊपर अन्य जनपदों में भी मामले विचाराधीन हैं।

गौरतरब है कि जेल में बंद विधायक ने अदालत को प्रार्थना पत्र लिखकर कहा था कि कि गैंगेस्टर एक्ट में अधिकतम दस वर्ष की सजा है, जबकि आरोपित अक्टूबर 2005 से जेल में है और जेल में रहते हुए 12 साल आठ महीने पूरे हो चुके हैं।

वकील ने बताया कि इस प्रार्थना पत्र के आधार पर कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को गैंगस्टर के मामले में जमानत दी है। मुख्तार अंसारी इस मामले में हाई कोर्ट तक गए थे।

बंदी प्रत्यक्षीकरण के तहत इलाहाबाद हाई कोर्ट में दायर विधायक की याचिका में कहा गया था कि आरोपी गैंगस्टर एक्ट की सजा काट चुका है, इसलिए रिहा कर देना चाहिए। हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यूपी सरकार से जवाब मांगा। अपने जवाब में यूपी सरकार ने कहा था कि मुख्तार तमाम मुकदमों में जेल में बंद हैं, इसलिए उनकी याचिका उचित नहीं है। उत्‍तर प्रदेश में मुख्‍तार अंसारी के खिलाफ 52 मुकदमे दर्ज हैं, इनमें से 15 केस ट्रायल स्टेज पर हैं।

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बीते महीने इलाहाबाद हाई कोर्ट में जज जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जज जस्टिस साधना रानी ठाकुर की डिवीजन बेंच ने ट्रायल कोर्ट को गैंगस्टर के दो मामलों में कस्टडी वारंट पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया था। हाई कोर्ट ने छह सप्ताह में ट्रायल कोर्ट को वारंट पर पुनर्विचार करने के निर्देश दिए थे।

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