मुख्तार अंसारी की मौत पर उठे सवाल, विपक्ष ने की उच्च-स्तरीय जांच की मांग

मुख्‍तार अंसारी की मौत

आरयू ब्यूरो, लखनऊ। करीब दो दशकों से जेल में बंद बाहुबालि मुख्तार अंसारी की मौत पर उनके बेटे ने प्रतिक्रिया दी है। मुख्‍तार के बेटे उमर अंसारी ने अफसरों की भूमिका पर संदेह जताते हुए कहा कि पूरा देश सब कुछ जानता है। दो दिन पहले मैं उनसे मिलने आया था, लेकिन मुझे इजाजत नहीं मिली। पिता की मौत पर सवाल उठाते हुए उमर अंसारी ने कहा कि धीमा जहर देने के आरोप पर हमने पहले भी कहा था और आज भी यही कहेंगे। साथ ही उमर ने यह भी कहा कि मुख्‍तार अंसारी को आइसीयू से निकालने के बाद वार्ड में रखने की जगह सीधे जेल की तन्‍हाई बैरक में डाल दिया गया। वहीं योगी सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए इस पूरे मामले की विपक्ष के नेताओं ने भी उच्च-स्तरीय जांच कराने की मांग की है।

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बसपा सुप्रीमो मायावती ने पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की मौत पर दुख जाहिर किया है। साथ ही पूर्व सीएम ने कहा कि मुख्तार अंसारी की जेल में हुई मौत को लेकर उनके परिवार द्वारा जो लगातार आशंकायें व गंभीर आरोप लगाए गए हैं उनकी उच्च-स्तरीय जांच जरूरी, ताकि उनकी मौत के सही तथ्य सामने आ सकें। ऐसे में उनके परिवार का दुःखी होना स्वाभाविक। कुदरत उन्हें इस दुःख को सहन करने की शक्ति दे।

जीवन की रक्षा करना सरकार की पहली जिम्‍मेदारी

इसके अलावा अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी का बिना नाम लिए एक्स पर पोस्ट कर कहा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर थाने में बंद रहने के दौरान, जेल के अंदर आपसी झगड़े में, जेल के अंदर बीमार होने पर, न्यायालय ले जाते समय, अस्पताल ले जाते समय, अस्पताल में इलाज के दौरान, झूठी मुठभेड़ दिखाकर, झूठी आत्महत्या दिखाकर, किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर मौत होने के हालात में, किसी बंधक या कैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्‍वास उठा देगा।

सरकार न्यायिक प्रक्रिया दरकिनार कर…

अखिलेश ने आगे कहा कि ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जांच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह गैर कानूनी हैं। जो हुकूमत जिंदगी की हिफाजत न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

पारिवारिजनों द्वारा लगाए हत्या की साजिश की पुष्टि करती

वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि यह स्वाभाविक मौत नहीं हत्या की साजिश प्रतीत होती है, पहले डाॅक्टरो के पैनल ने अस्पताल से डिस्चार्ज किया और कुछ घंटो बाद ही उनकी मौत, पारिवारिजनों द्वारा लगाए गये हत्या की साजिश की पुष्टि करती है। अतः पूरे घटना क्रम की जांच उच्च न्यायालय की देखरेख में होना चाहिए।

इस प्रकार की हत्याओं के फैशन पर लगे विराम

स्‍वामी प्रसाद मौर्या ने मांग करते हुए शुक्रवार को यह भी कहा कि पोस्टमार्टम भी उच्च न्यायालय के किसी जज के अभिरक्षण में ही किया जाना चाहिए, जिससे कि न्याय का गला घोटने वालों का चेहरा बेनकाब हो सके तथा थानो, जेलों, पुलिस अभिरक्षण में साजिशन किये जा रहे इस प्रकार की हत्याओं के फैशन पर विराम लग सके।

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अमिताभ ठाकुर ने की सीबीआइ जांच की मांग

इसके अलावा आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने मुख्‍तार अंसारी की मौत सीबीआइ जांच कराने की मांग की है। अमिताभ ठाकुर ने शुक्रवार को मीडिया से कहा कि मुख्तार अंसारी की बांदा जेल में हुई रहस्यमय मौत की साल 2001 में गाजीपुर जिले के उसरी चट्टी में मुख्तार अंसारी के काफिले पर हुए हमले की घटना से संबंध होने की तमाम चर्चाएं हैं। इस घटना में मुख्तार अंसारी ने वादी के रूप में त्रिभुवन सिंह और बृजेश सिंह को अभियुक्त बनाया था और वे इसके प्रमुख गवाह थे। विगत दिनों इस मुकदमे की लगातार ट्रायल चल रहा था।

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अमिताभ ठाकुर ने तर्क देते हुए मीडिया से आज यह भी कहा कि उत्‍तर प्रदेश की योगी सरकार जिस तरह माफियाओं में भेदभाव कर कुछ माफियाओं को प्रश्रय और कुछ के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, उससे इस प्रकार के तथ्य और तत्व होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। अतः आजाद अधिकार सेना इस मामले में सीबीआइ जांच की मांग करती है।

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