मुश्ताक जरगर को गृह मंत्रालय ने घोषित किया आतंकी, कंधार विमान अपहरण के बदले हुई थी रिहाई

मुश्ताक जरगर

आरयू वेब टीम। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बड़ा फैसला लेते हुए अल-उमर मुजाहिदीन के संस्थापक और मुख्य कमांडर मुश्ताक अहमद जरगर को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1967 के तहत डेजिग्नेटिड आतंकवादी घोषित कर दिया है। गृह मंत्रालय ने पिछले दिनों कुख्यात आतंकवादी सरगना हाफिज सईद के बेटे तल्हा सईद को भी डेजिग्नेटिड आतंकवादी घोषित किया था।

मुश्ताक अहमद जरगर को ‘लटरम’ भी कहा जाता है जिसका ठिकाना इस वक्त पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) का मुजफ्फराबाद बना हुआ है। गृह मंत्रालय ने उल्लेख करते हुए कहा है कि मुश्ताक अहमद जरगर जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान से अभियान चला रहा। साथ ही कहा कि हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण, आतंकवादी हमलों की योजना बनाने और उसे अंजाम देने और आतंकी फंडिंग सहित कई आतंकी अपराधों में भी उसकी प्रमुख भूमिका थी।

इसी आधार पर उसे आतंकी घोषित किया गया है। भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, सऊदी अरब, यूएई, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया जैसे कई देशों के साथ आतंकवाद पर सूचनाओं के आदान-प्रदान और साझा अभियान चलाने का समझौता किया है।

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बता दें कि, अल-उमर मुजाहिदीन के संस्थापक मुश्ताक अहमद जरगर को 1999 के इंडियन एयरलाइंस के प्लेन हाईजैक में रिहा किया गया था। 24 दिसंबर 1999 को काठमांडू से दिल्ली के लिए उड़ान भरने वाली इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट को आतंकियों ने हाईजैक कर लिया था। इसकी लैंडिंग अफगानिस्तान के कंधार में कराई थी। उस वक्त भी अफगानिस्तान में तालिबानी शासन था। इसके बाद यात्रियों की सुरक्षित वापसी के लिए भारत सरकार ने मसूद अजहर, अहमद ओमर सईद शेख, मुश्ताक अहमद जरगर जैसे आतंकवादियों को रिहा किया था।

मालूम हो कि गृह मंत्रालय के आला अधिकारी के मुताबिक साल 1991 में जरगर ने अपना खुद का आतंकवादी संगठन बनाया, जिसका नाम उसने अलवर मुजाहिदीन रखा। इसके बाद जरगर ने जम्मू-कश्मीर में ताबड़तोड़ हत्या की। इनमें कुछ उच्च पदस्थ अधिकारियों की हत्याएं भी शामिल हैं। सरकार ने जरगर को पकड़ने के लिए रात दिन एक कर दिया और उसके बाद 15 मई 1992 को उसे गिरफ्तार कर लिया गया, तब तक उस पर 3 दर्जन से ज्यादा हत्याओं तथा अन्य संगीन अपराधों के मुकदमे दर्ज हो चुके थे।

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