आरयू वेब टीम। सीबीआइ ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस में किसी भी लड़की की हत्या नहीं हुई है, जिनके मर्डर का शक था, वे सब बाद में जिंदा मिली हैं। कोर्ट में सीबीआइ की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल पेश हुए हैं। सीबीआइ ने कोर्ट को बताया कि हत्या का कोई सबूत नहीं मिला है, जिनके मर्डर का शक था, वे सभी 35 लड़कियों को जीवित पाया गया है।
साथ ही ये भी बताया कि वहां से जो दो कंकाल बरामद हुए थे, लेकिन बाद में फॉरेंसिक जांच में पता चला कि ये कंकाल एक महिला और एक पुरूष के थे। दावा किया गया है कि सीबीआइ जांच में साफ हो गया है कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में किसी भी नाबालिक की हत्या नहीं की गई है।
बता दें, सीबीआइ ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय से कहा था कि मुजफ्फरपुर आश्रय गृह यौन उत्पीड़न के 17 मामलों में जांच पूरी हो गई है और जिलाधिकारियों सहित संलिप्त सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए रिपोर्ट दायर कर दी गई है। उच्चतम न्यायालय में दायर अपनी स्थिति रिपोर्ट में जांच एजेंसी ने कहा कि चार प्रारंभिक जांच में किसी आपराधिक कृत्य को साबित करने वाला साक्ष्य नहीं मिला और इसलिए कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है।
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सीबीआई ने स्थिति रिपोर्ट में कहा, ‘सभी 17 आश्रय गृह मामलों में जांच पूरी हो गई है। 13 नियमित मामलों में अंतिम रिपोर्ट सक्षम अदालत को भेजी गई है। चार प्रारंभिक मामलों की जांच पूरी हो गई है और आपराधिक कृत्य को साबित करने वाले साक्ष्य नहीं मिले और इसलिए इस मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है।‘सभी मामलों में संलिप्त सरकारी सेवकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए बिहार के मुख्य सचिव को सीबीआइ की रिपोर्ट भेज दी गई है। मुजफ्फरपुर आश्रय गृह समेत सभी 17 आश्रय गृह मामलों की जांच पूरी हो गई है और सक्षम अदालत में अंतिम रिपोर्ट दायर कर दी गई है। सीबीआई रिपोर्ट के रूप में नोट को मुख्य सचिव के पास उपयुक्त कार्रवाई के लिए भेजा गया है।’
वहीं सीबीआइ ने यह भी कहा कि बिहार सरकार से आग्रह किया गया है कि विभागीय कार्रवाई करे और सीबीआइ के प्रारूप में जांच परिणाम मुहैया कर संबंधित एनजीओ का पंजीकरण रद्द करने और उन्हें काली सूची में डालने के लिए कहा गया है। ‘‘बालिका गृह मुजफ्फरपुर के एक मामले में सुनवाई पूरी हो गई है और फैसला 14 जनवरी तक सुनाया जाएगा।