आरयू संवाददाता,
लखनऊ। सहायक अध्यापक भर्ती के खाली पदों पर नियुक्ति की मांग को लेकर शुक्रवार को प्रदेश भर के जिलों से लखनऊ पहुंचे 68500 सहायक शिक्षक के अभ्यर्थियों ने हजरतगंज में विधानसभा व बीजेपी कार्यालय के सामने विरोध-प्रदर्शन किया। अभ्यर्थियों ने सड़क पर बैठकर नारेबाजी की।
वहीं मौके पर अभ्यर्थियों को हटाने पहुंचे पुलिसकर्मियों ने उन्हें हटाने का प्रयास किया, लेकिन वो नहीं माने। इस दौरान पुलिस ने अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज कर दिया। जिसके बाद वहां भगदड़ मच गयी। इलाके को अभ्यर्थियों से खाली कराने के लिए पुलिसवालों ने उन्हें दौड़ाकर पीटा जिसमें कई प्रदशनकरियों को चोंटें आयीं हैं। अभ्यर्थी कटऑफ कम करके नियुक्ति की मांग लेकर प्रदर्शन कर रहे थे।
अभ्यर्थियों ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि बेसिक शिक्षा विभाग की सहायक अध्यापक के 68500 पदों पर शिक्षक भर्ती के लिए सरकार ने 30 और 33 फीसदी कटऑफ निर्धारित की थी, जिसे बाद में बढ़ाकर 40 और 45 फीसदी कर दिया गया। जो अभ्यर्थियों के साथ सरासर अन्याय है।
वहीं हजरतगंज से पहले अभ्यर्थियों ने ट्रेनों से चारबाग पहुंचने के बाद स्टेशन के पास भी प्रदर्शन किया। सड़कों पर अभ्यर्थियों के बैठकर नारेबाजी करने से यातायात ठप हो गया। जिसके बाद मौके पर पहुंचीं हुसैनगंज पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर वहां से खदेड़ दिया था। शाम को इंस्पेक्टर हजरतगंज ने लाठीचार्ज की बात से इंकार करते हुए कहा कि अभ्यर्थियों को सिर्फ सड़क से हटाया गया था। वहीं अज्ञात प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उनका पता लगाया जा रहा है। दूसरी ओर इंस्पेक्टर हुसैनगंज ने बताया कि अभ्यर्थियों को सड़क से हटाने के बाद अब उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज की जाएगी।
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यहां बता दें कि बेसिक शिक्षा विभाग की सहायक अध्यापक के 68500 पदों पर शिक्षक भर्ती के लिए सरकार ने 40 और 45 प्रतिशत कटऑफ निर्धारित की थी, जिसे बाद में कम करके 30 और 33 प्रतिशत कर दिया गया।
परीक्षा के बाद एक अभ्यर्थी ने कम की गई कटऑफ को कोर्ट में चैलेंज किया, जिसके बाद हाईकोर्ट ने कटऑफ कम करने के आदेश पर रोक लगा थी। इसके बाद विभाग ने 40 और 45 प्रतिशत कटऑफ वालों को ही शिक्षक भर्ती में क्वालिफाई माना।
इसके चलते हजारों अभ्यर्थी भर्ती से बाहर हो गए। इस भर्ती में अभी भी करीब 27 हजार पद खाली हैं। अभ्यर्थियों का कहना है कि सरकार कोर्ट में जाकर कटऑफ कम कराने के लिए राहत का आदेश लेकर आए। अभ्यर्थियों के अनुसार सरकार की लचर पैरवी के चलते ही अभ्यर्थियों को राहत नहीं मिली थी। भर्ती की मांगों को लेकर अभ्यर्थी सूबे की राजधानी में पहले भी कई बार प्रदर्शन कर चुके हैं।