आरयू वेब टीम।
नोटबंदी के बाद लगातार विपक्ष के निशाने पर रही मोदी सरकार के फैसले पर एक बड़ा खुलासा हुआ है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की सर्वेक्षण रिपोर्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कालाधन निकालने वाले नोटबंदी के फैसले को देश के करीब 60 लाख लोगों के मुंह से निवाला छीनने वाला बताया है।
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सीएमआईई की सर्वेक्षण रिपोर्ट में बताया गया है कि नोटबंदी के बाद भारत में लगभग 15 लाख लोगों को नौकरियां गंवानी पड़ी हैं। क्योकि एक व्यक्ति की कमाई पर घर के लगभग चार लोग आश्रित हैं, जिसके आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि पीएम मोदी के एक फैसले से 60 लाख से ज्यादा लोगों के मुंह से रोटी का निवाला छीना है।
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सीएमआईई ने अपने सर्वे में त्रैमासिक वार नौकरियों का आंकड़ा भी पेश किया है। सीएमआईई के कंज्यूमर पिरामिड हाउसहोल्ड सर्वे के अनुसार, नोटबंदी के बाद जनवरी से अप्रैल, 2017 के बीच देश में कुल नौकरियों की संख्या घटकर 405 मिलियन रह गयी थीं, जो सितंबर से दिसंबर, 2016 के बीच 406.5 मिलियन थी।
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जिससे यह साफ होता है कि नोटबंदी के बाद नौकरियों की संख्या में करीब 1.5 मिलियन (15 लाख) की कमी आई है। वहीं देशभर में हुए हाउसहोल्ड सर्वे में जनवरी से अप्रैल, 2016 के बीच युवाओं के रोजगार और बेरोजगारी से जुड़े आंकड़े जुटाये गए थे।
ये थे अब तक के आंकड़े
1 लाख 61 हजार, 167 घरों के कुल 5 लाख 19 हजार, 285 युवकों पर सर्वे किया गया था, जिसमें यह कहा गया है कि तब 401 मिलियन यानी 40.1 करोड़ लोगों के पास रोजगार था।
यह आंकड़ा मई-अगस्त, 2016 के बीच बढ़कर 403 मिलियन यानी 40.3 करोड़ और सितंबर-दिसंबर, 2016 के बीच 406.5 मिलियन यानी 40.65 करोड़ हो गया। इसके बाद जनवरी से अप्रैल, 2017 के बीच रोजगार के आंकड़े घटकर 405 मिलियन यानी 40.5 करोड़ रह गए, जिससे यह साफ है कि इस दौरान कुल 15 लाख लोगों की नौकरियां खत्म हो गई है।
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