आरयू ब्यूरो, लखनऊ। सुल्तानपुर, गाजीपुर सहित कुछ अन्य जनपदों में पल्स ऑक्सीमीटर तथा इन्फ्रारेड थर्मामीटर की बाजार मूल्य से अधिक दर पर खरीद किए जाने के मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त निर्देश दिए हैं। साथ ही इसकी जांच के लिए एसआइटी का गठन कर पूरे मामले कि जांच कराने को कहा है।
शासन द्वारा यह एसआइटी अपर मुख्य सचिव राजस्व विभाग रेणुका कुमार की अध्यक्षता में गठित की गई है। सचिव चिकित्सा शिक्षा विभाग अमित गुप्ता तथा सचिव नगर विकास एवं एमडी जल निगम विकास गोठलवाल को इस एसआइटी का सदस्य नामित किया गया है। एसआइटी पूरे प्रकरण की जांच कर दस दिन में अपनी रिपोर्ट शासन को देगी।
गौरतलब है कि हाल ही में आम आदमी पार्टी (आप) के उत्तर प्रदेश प्रभारी व राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भाजपा सरकार पर राष्ट्रवाद का झूठा ढोंग करने का आरोप लगाते हुए चीन के चिकित्सा उपकरण दोगुने दाम में खरीदने की बात कही है। संजय सिंह ने कोरोना किट खरीद में करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार की जांच सीबीआइ से कराने की मांग को लेकर कोर्ट जाने का भी दावा किया है।
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इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी के सुलतानपुर जिले की लंभुआ सीट से विधायक देवमणि द्विवेदी ने गत सप्ताह मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर 2800 रुपये की कोरोना किट 9950 रुपये में खरीदकर सुलतानपुर जिले में बड़े घोटाले का आरोप सुलतानपुर के जिलाधिकारी पर लगाया था, जिसके बाद मुख्यमंत्री कार्यालय ने त्वरित कार्यवाही करते हुए पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव को जांच का आदेश देकर आख्या तलब कर ली।
यही नहीं दो दिन पहले कोरोना किट की खरीद में हुए घोटाले की बात सामने आने के बाद सुल्तानपुर और गाजीपुर के जिला पंचायत राज अधिकारियों(डीपीआरओ) को निलम्बित हो चुके है। आरोप है कि कोरोना किट दुगुने दाम में खरीदी गयी। मामले की जांच डिप्टी डायरेक्टर पंचायती राज अयोध्या मंडल को सौंपी गयी है। हालांकि यह केवल दो जिलों का ही मामला सामने आया है जबकि पूरे प्रदेश में इस तरह की खरीद हुई है।
प्रदेश शासन ने कोविड-19 की रोकथाम के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत में पल्स ऑक्सीमीटर, इन्फ्रारेड थर्मामीटर व सेनेटाइजर का सेट राज्य वित्त आयोग की धनराशि से क्रय किए जाने के निर्देश शासनादेश संख्या 1596/33-3-2020-114/2012 दिनांक 23 जून, 2020 के माध्यम से निर्गत किए गए थे। सुल्तानपुर और गाजीपुर के साथ कुछ अन्य जनपदों में ग्राम पंचायतों में बाजार मूल्य से अधिक उपकरणों को क्रय करने की जानकारी शासन को प्राप्त हुई थी।