आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। योगी सरकार के दस हजार रुपए मानदेय दिये जाने के फैसल के बाद आंदोलित शिक्षामित्रों का प्रदर्शन लखनऊ समेत प्रदेश भर में आज दूसरे दिन भी जारी रहा। समान कार्य, समान वेतन समेत दूसरी मांगों पर अड़े शिक्षामित्रों का प्रदर्शन आज एटा में भयंकर मोड़ पर पहुंच गया।
राज्यमंत्री सुरेश पासी का घेराव कर ज्ञापन देने लोक निर्माण विभाग के गेस्ट हाउस जा रहे शिक्षामित्रों की रास्ते में ही पुलिसकर्मियों से झड़प हो गई। जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। कई दिनों से आक्रोशित चल रहे शिक्षामित्रों ने लाठी पड़ते ही अपना आपा खो दिया और पथराव शुरू कर दिया।
पुलिस बल ने शिक्षामित्रों को काबू में करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ने के साथ ही फायरिंग भी की। रबड़ की गोली लगने से शिक्षामित्र गीता और लीलावती घायल हो गई हैं। इसके अलावा पुलिस के लाठीचार्ज में करीब तीस शिक्षामित्र घायल हो गए। जिनमें से कुछ की हालत गंभीर भी बताई जा रही है।
वहीं शिक्षामित्रों के पथराव से कोतवाल समेत आधा दर्जन से ज्यादा पुलिसवाले भी चोटिल हुए हैं। इस बारे में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अखिलेश कुमार चौरसिया ने मीडिया को बताया कि पथराव करने तथा सरकारी कार्य में बाधा डालने के मामले में शिक्षामित्रों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
वहीं दूसरी ओर आज राजधानी के शिक्षामित्रों ने सैकड़ो प्राथमिक विद्यालयों में नहीं पढ़ाने का निर्णय लेते हुए तालाबंदी की। इस दौरान पढ़ने की आस लिए विद्यालय पहुंचने वाले छात्रों को मायूस होकर वापस लौटना पड़ा।
शिक्षामित्र संयुक्त मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष सुनील भदौरिया ने प्रदेश सरकार पर गुस्सा निकालते हुए कहा कि सत्ता आते ही विश्वसनीयता खत्म हो जाती है और ये वर्तमान योगी सरकार पर बिल्कुल फिट बैठती है। उन्होंने आगे कहा कि लखनऊ के शिक्षामित्रों का जबसे सरकार ने दस हजार रुपए मानदेय का प्रस्ताव कैबिनेट मीटिंग में पास किया है तभी से शिक्षामित्र आक्रोशित है।
इसके विरोध में आज राजधानी के माल मलिहाबाद, सरोजनीनगर चिनहट समेत सभी आठ ब्लॉकों के प्राथमिक विद्यालय के शिक्षा मित्रों ने तालाबंदी व कलम बंद हड़ताल की। उन्होंने कहा कि अगर योगी सरकार को दस हजार की ही बात रखनी थी तो पांच सदस्यी कमेटी बनाने की क्या अवश्यकता थी।
वहीं पिछली अखिलेश सरकार का जिक्र करते हुए प्रदेश उपाध्यक्ष ने कहा कि ये वही भाजपा के लोग है जो 2014 में शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त होने पर तत्कालीन सरकार को घेरने और आंदोलन तेज करने की बात किया करते थे, किंतु आज सत्ता ने उनको भी झूठ बोलने वाला बना दिया।
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सुनील भदौरिया ने बताया कि तालाबंदी को ब्लॉक स्तर तक सफल बनाने वालों में उमेश पांडे दिलीप सिंह, प्रदीप सिंह, रघुवेन्द्र सिंह, हंसराज, बीएल यादव, कटर सिंह अरविंद, राजेश रावत, संजय सरमा, संजय यादव, हरिनाम यादव, कुलदीप यादव, सतीश, सबा समीम, ममता समेत अन्य लोग शामिल रहें।
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