आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। समान कार्य, समान वेतन समेत अन्य मांगों को लेकर सूबे की राजधानी समेत प्रदेश भर में प्रदर्शन करने वाले 1,69,157 शिक्षामित्रों के उम्मीदों पर आज योगी सरकार ने पानी फेर दिया है। लोकभवन में हुई प्रदेश सरकार की कैबिनेट मीटिंग में बड़ा फैसला लेते हुए शिक्षामित्रों का मानदेय 3500 रुपये से बढ़ाकर दस हजार रुपये प्रति माह देने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई है। योगी सरकार के इस फैसले पर नाराजगी जताते हुए अब एक बार फिर से शिक्षामित्रों ने आंदोलन शुरु करने की घोषणा कर दी है।
वहीं कैबिनेट मीटिंग के बाद प्रदेश सरकार के प्रवक्ता व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने मीडिया को बताया कि शिक्षामित्रों को हर महीने दस हजार रुपए मानदेय देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। अगस्त से उत्तर प्रदेश के 1,69,157 शिक्षामित्रों को यह मानदेय मिलने लगेगा। योगी सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देखते हुए शिक्षामित्रों के प्रति न सिर्फ संवेदनशील है, बल्कि हमारी सहानुभूति भी उनके साथ है।
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दूसरी बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार अनुपमा जायसवाल ने कहा कि शिक्षामित्रों को साढ़े तीन हजार रुपये मानदेय मिलता था। सरकार ने इसे बढ़ाकर दस हजार रुपये किया है। उन्होंने बताया कि यह मानदेय वर्ष में 11 महीने के लिए मिलेगा।
कैबिनेट के फैसले से पहले जिम्मेदारों से मिला था शिक्षामित्रों का प्रतिनिधिमंडल
दूसरी ओर आज इससे पहले शिक्षामित्र संगठनों के पदाधिकारियों ने बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जयसवाल, निदेशक बेसिक शिक्षा सर्वेंद्र विक्रम बहादुर सिंह, अपर मुख्य सचिव (मुख्यमंत्री) राज प्रताप सिंह को ज्ञापन देते हुए कहा कि बीते 23 अगस्त को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आश्वासन और शासन स्तर पर इसके लिए हल निकालने के लिए बनाई गई कमेटी के बाद शिक्षामित्रों ने करीब एक महीने से चल रहा अपना आंदोलन समाप्त कर दिया था।
उसके बाद अब मीडिया के माध्यम से जानकारी मिल रही है कि शिक्षामित्रों को दस हजार रुपए मानदेय दिया जाएगा। इससे शिक्षामित्रों में निराशा के साथ ही आक्रोश भी है। इसलिए इस प्रकार का निर्णय बनाई गई समिति से न कराए जाए जिससे कि एक बार फिर शिक्षामित्रों को आंदोलन करना पड़े।
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष गाजी इमाम आला ने बताया कि आज कुछ समाचार पत्रों में इस बात को प्रकाशित किया गया था कि मंगलवार को होने वाली योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट बैठक में शिक्षामित्रों को दस हजार रुपए मानदेय देने का फैसला लिया जाएगा। जिसके बाद शिक्षा मित्र संघ के प्रदेश उपमहामंत्री रमेश मिश्रा, संघटन मंत्री श्रीराम दिवेदी, मंत्री विनोद वर्मा, उपाध्यक्ष सुनील भदौरिया के साथ ही आदर्श शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारी अवनीश कुमार सिंह, संदीप पाल ने करीब पौने दो लाख शिक्षामित्रों के दिक्कतों को देखते हुए सम्मानजनक हल निकालने का जिम्मेदारों से निवेदन किया था।
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हालांकि सरकार सबके निवेदन को किनारे करने के साथ ही यह भी भूल गई कि उसने कमेटी बनाई थी और हम लोगों से लीगल ओपिनियन मांगा था, अभी शिक्षामित्र इस बात की तैयारी ही कर रहा था शिक्षक दिवस के मौके पर सरकार ने लगभग पौने दो लाख शिक्षामित्रों की नौकरी छीनकर उन्हें ठेके पर रख दिया। इसके खिलाफ कल से ही आंदोलन शुरु किया जाएगा।
समायोजित शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेन्द्र शाही ने कहा कि योगी सरकार को जब यही करना था तो कमेटी बनाने की क्या जरुरत थी, यह तो खोदा पहाड़ निकली चुहिया वाली बात हो गई। हम लोग इसका पुरजोर विरोध करेंगे, यह विरोध इस बार जिलों से होता हुआ दिल्ली तक पहुंचेगा।