प्रदर्शन को समर्थन देने के साथ ही भारत बंद के दौरान हिंसा पर ये बड़ी बात बोली मायावती

गोरखपुर में दलित हत्या
बसपा सुप्रीमो मायावती। (फाइल फोटो)

आरयू ब्‍यूरो, 

लखनऊ। एससीएसटी एक्ट में बदलाव के विरोध में दलित संगठन सोमवार को देशभर में प्रदर्शन कर रहे हैं। इस दौरान हिंसा में जहां संपत्ति का नुकसान हो रहा है, वहीं शाम तक करीब आधा दर्जन लोगों की जानें भी जा चुकी है। प्रदर्शनकारियों द्वारा कहीं ट्रेनें रोकी जा रही हैं, तो कहीं आगजनी और तोड़फोड़ को अंजाम दिया जा रहा है।

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वहीं इन सबके बीच सोमवार को मीडिया से बात करते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रदर्शन का समर्थन करने के साथ ही हो रही हिंसा की निंदा करते हुए कहा कि उनकी पार्टी इसके पक्ष में नहीं है। पूर्व मुख्‍यमंत्री ने विरोधियों पर निशाना साधते हुए कहा कि विरोध के दौरान हिंसा फैलाने के लिए एंटी-सोशल तत्वों को भेजा गया, जिसके परिणाम स्वरूप कुछ लोगों की मौत हो गई और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा है।

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हिंसा के पीछे बसपा नहीं, दोषियों के खिलाफ हो कार्रवाई

हिंसा के दौरान बसपा का नाम लिए जाने पर मायावती ने ऐतराज जताते हुए कहा कि इस हिंसा के पीछे हमारी पार्टी नहीं है। जो लोग हिंसा फैला रहे हैं उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। बसपा अध्‍यक्ष ने हिंसा की आड़ में बसपा को बदनाम किए जाने का भी आरोप लगाया।

बनावटी नहीं होना चाहिए प्रयास

वहीं मोदी सरकार के पुनर्विचार याचिका पर मायावती ने कहा कि भारत बंद आंदोलन से मजबूर होकर मोदी सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में डाली गयी पुनर्विचार याचिका पहले की तरह केवल दिखावटी व गुमराह करने वाला नहीं होना चाहिए बल्कि इसकी सही पैरवी करके इस जरूरी कानून को इसकी पहले वाले असली रूप में तत्काल बहाल कराया जाना चाहिए।

चेत जाती सरकार तो नहीं आती ऐसी नौबत

बसपा सुप्रीमो ने आगे कहा कि अगर केंद्र सरकार इस मामले में समय पर उचित कार्रवाई करती तो आज’ भारत बंद’ की नौबत ही नहीं आती और ना ही कुछ गैर-आंदोलनकारी असामाजिक तत्वों को सरकारी लापरवाही के कारण आगजनी व हिंसा करने का मौका मिलता।

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प्राइवेट सेक्‍टर में भी मिले आरक्षण

वहीं प्राइवेट सेक्‍टर में भी आरक्षण की मांग उठाते हुए मायावती ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा दलितों व आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों पर लगातार कुठाराघात किया जा रहा है। सरकारी मंत्रालयों का लगातार निजीकरण करके तथा बड़ी-बड़ी सरकारी योजनाओं को धन्नासेठों की प्राइवेट कंपनियों को देकर नौकरी में आरक्षण की सुविधा को पहले ही लगभग समाप्त कर दिया गया है। इसीलिये प्राइवेट सेक्टर में भी आरक्षण की व्यवस्था तत्काल लागू किया जाए।

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