आरयू वेब टीम। कोरोना वायरस के कारण देशभर में जारी लॉकडाउन में सबसे ज्यादा परेशानी मजदूरों को झेलनीं पड़ रहीं हैं। इस बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने 16 मई को सुखदेव विहार फ्लाईओवर के पास अपने घरों को पैदल जा रहे मजदूरों से बातचीत की। जिसकी डॉक्यूमेंट्री राहुल ने शनिवार को सोशल मीडिया पर साझा किया।
राहुल गांधी ने आज 17 मिनट की डॉक्यूमेंट्री ट्विट किया है। जिसकी शुरुआत प्रवासी मजदूरों के अपने घर पहुंचने को लेकर किए जा रहे संघर्ष के व उनके दर्द भरे दृश्यों से की गई है। वहीं राहुल गांधी मजदूर से बात करते हैं। वो पूछते हैं कि वो कहां से आ रहे हैं और क्या करते थे? एक मजदूर ने बताता है कि वह हरियाणा से आ रहा है और कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करता था। उसने बताया कि एक दिन पहले ही उसने चलना शुरू किया है। उनके साथ उनका पूरा परिवार है।
एकाएक ही मिली लॉकडाउन की जानकारी
एक अन्य मजदूर ने बताया कि उसे एकाएक ही लॉकडाउन की जानकारी मिली। जहां रहते थे वहां किराए में 2500 रुपये देने पड़ते थे। इसलिए अब वो झांसी रवाना हो रहे हैं। राहुल गांधी ने पूछा कि पैसे हैं पास में, खाना खा रहे हो? इस सवाल के जवाब में परिवार ने बताया कि लोग रास्ते में उन्हें खाने के लिए दे देते हैं। कई बार खाना मिलता भी है कई बार नहीं मिलता तो पैदल चलते हुए आगे बढ़ जाते हैं, जबकि एक अन्य मजदूर का कहना है कि 21 तारीख की शाम को पता चला कि 22 मार्च को भारत बंद है। हमें लगा कि एक दिन का गैप है। चार दिन के बाद फिर से सब कुछ बंद हो गया। राहुल गांधी ने पूछा कि अगर पता होता कि चार दिन बाद फिर से सब बंद होने वाला है तो क्या करते? तो परिवार वालों ने बताया कि घर निकल जाते। पिछले दो महीने से घर से पैसे मंगवा रहे हैं। घर वाले गेहूं बेच कर हमें पैसा भेज रहे हैं उसी से गुजारा हो रहा है। हमने तीन लॉकडाउन तक तो इंतजार किया, लेकिन अब लगा पता नहीं आगे क्या होगा, इसलिए घर निकल पड़े।
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फिलहाल तो जान बचाने की सोच रहे
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने पूछा कि फिर वापस आएंगे आप लोग? इसके जवाब में शख्स ने कहा कि फिलहाल तो जान बचाने की सोच रहे हैं बस। राहुल ने पूछा कि आपने घर के सामान क्या किए? इसके जवाब में परिवार वालों ने कहा कि जान बची तो लाखों पाओ। सारा सामान वहीं छोड़कर निकल गए हैं।
एक रुपये तक की नहीं मिली हमें मदद
वहीं सरकार द्वारा आर्थिक मदद दिए जाने के सवाल पर मजदूर शख्स ने बताया कि 500-1000 मिलने की बात तो सुनी, लेकिन हमें कुछ भी नहीं मिला। आज हम खाने-पीने तक के मोहताज हो गए हैं, एक रुपये तक की हमें मदद नहीं मिली। एक मजदूर ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान पुलिवालों के अलावा दूसरे लोग भी उन पर लाठियां बरसा रहे थे, जो लोग बाहर के हैं उनकी हरियाणा में कोई वैल्यू नहीं है। जब तक काम है लोगों की कद्र होती है नहीं तो सिर्फ वो मजबूर हैं।
तीन दिन से भूखे मर रहे…
एक महिला बताती है कि मोदी सरकार में तो कुछ पता ही नहीं चलता। एक दिन ऐसे ही नोटबंदी के बारे में रातों-रात मालूम पड़ा, अगली सुबह सबकुछ बंद। कोरोना के दौरान भी ऐसा हुआ। झेलना हम लोगों को पड़ता है। महिला कहती है, बड़े आदमी को दिक्कत नहीं है। हम तीन दिन से भूखे मर रहे हैं। बच्चा भी है हमारा साथ में, वो भी तीन दिन से भूखा-प्यासा है।
हम लोगों के अकाउंट में एक रुपया भी नहीं आया
एक अन्य महिला कहती हैं कि सरकार अगर 500 रुपये भी देती है तो उसमें क्या होता है। हम लोगों के अकाउंट में एक रुपया भी नहीं आया है। सरकार कुछ लोगों की मदद करती है और कह देती है सबकी मदद कर दी। अगर सबको मदद मिलेगी तो वो बताएंगे नहीं कि उन्हें मदद मिली है। जिसके बाद राहुल गांधी उन सभी परिवारों के लिए गाड़ी का इतजामकर उन्हें उनके घर रवाना भेजा। बाद में लोगों ने घर पहुंच कर राहुल गांधी का धन्यवाद दिया।
Watch this short film in which I speak with India’s real nation builders, our migrant brothers & sisters. https://t.co/As99mjVvyt
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 23, 2020