आरयू वेब टीम। वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद व ताजमहल विवाद के बीच दिल्ली की कुतुब मीनार पर भी विवाद छिड़ा हुआ है। दिल्ली की साकेत कोर्ट में आज भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) ने उस याचिका का विरोध किया, जिसमें कुतुब मीनार परिसर में 27 हिंदू और जैन मंदिरों की बहाली की मांग की गई है। कुतुब मीनार परिसर में मंदिरों के जीर्णोद्धार से संबंधित अंतरिम अर्जी में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) ने साकेत कोर्ट में हलफनामा दायर कर दिया है।
एएसआई ने याचिका का विरोध करते हुए कहा है कि कुतुब मीनार एक स्मारक है और इस तरह की संरचना पर कोई भी मौलिक अधिकार का दावा नहीं कर सकता। एएसआई ने यह भी कहा कि इस जगह पर पूजा करने का कोई अधिकार नहीं दिया जा सकता है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने हलफनामे में कहा है कि एएमएएसआर अधिनियम 1958 के तहत कोई प्रावधान नहीं है, जिसके तहत किसी भी जीवित स्मारक पर पूजा शुरू की जा सकती है। दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश तारीख 27/01/1999 में स्पष्ट रूप से ये उल्लेख किया है।
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इस याचिका पर एएसआइ ने अपना जवाब साकेत कोर्ट में दाखिल किया है। एएसआइ ने कहा, कुतुब मीनार को 1914 से संरक्षित स्मारक का दर्जा मिला है। कुतुब मीनार की पहचान बदली नहीं जा सकती न ही अब स्मारक में पूजा की अनुमति दी जा सकती है। दरअसल, संरक्षित होने के समय से यहां कभी पूजा नहीं हुई है।
एएसआइ ने आगे कहा, हिंदू पक्ष की याचिकाएं कानूनी तौर पर वैध नहीं है। साथ ही पुराने मंदिर को तोड़कर कुतुब मीनार परिसर बनाना ऐतिहासिक तथ्य का मामला है। अभी कुतुब मीनार में किसी को पूजा का अधिकार नहीं है। जब से कुतुब मीनार को संरक्षण में लिया गया, यहां कोई पूजा नहीं हुई, ऐसे में यहां पूजा की अनुमति नहीं दी जा सकती।
दरअसल, कुतुब मीनार के पास कुछ हफ्ते पहले हिंदू संगठन ने प्रदर्शन किया था। उनका दावा है कि कुतुब मीनार का निर्माण 27 जैन और हिंदू मंदिरों को तोड़कर किया गया है। वहां पूजा करने का अधिकार देने और नाम बदलने की भी मांग की जा रही है।