आरयू ब्यूरो,लखनऊ। जो विद्यार्थी पदक प्राप्त करने से रह गए हैं वे अपनी क्षमताओं को कम न आंके, क्योंकि कुछ नंबरों से आगे-पीछे हो जाना आपके आगामी जीवन में प्रभावी नहीं होगा। भविष्य में जीवन की सफलता आप द्वारा प्राप्त किए गए ज्ञान और जीवन लक्ष्यों को लगन के साथ पूरा करने से प्राप्त होगी।
उक्त बातें मंगलवार को यूपी की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के छठे दीक्षान्त समारोह में छात्रों से कही। इस दौरान राज्यपाल ने उपाधि प्राप्त करने वाले सभी छात्र-छात्राओं को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी।
विश्वविद्यालय की विशेषता का उल्लेख करते हुए राज्यपाल ने कहा कि इस संस्थान का नाम देश के महान सूफी-संत ख्वाजा मुुईनुद्दीन चिश्ती से जुड़ा है, जिन्हें गरीब नवाज के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने कहा कि देश के ऐसे सूफी-संत को नमन करती हूं, जिन्होंने प्रेम और सौहार्द का पैगाम दिया। उन्होंने भाषा विश्वविद्यालय में उर्दू, अरबी, फारसी, संस्कृत, अंग्रेजी, हिन्दी एवं फ्रेन्च भाषाओं को एलिमेन्ट्री विषय के रूप में पढ़ाये जाने कि पहल पर प्रसन्नता व्यक्त की।
राज्यपाल ने आगे भाषायी ज्ञान को रोजगार से जोड़ने पर चर्चा करते हुए अपने सम्बोधन में अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं के साथ-साथ भारतीय भाषाओं विशेषकर क्षेत्रीय बोलियों एवं भाषाओं पर आधारित अधिक से अधिक पाठ्यक्रम चलाने पर बल दिया। उन्होंने कहा इन पाठ्यक्रमों को रोजगार परक बनाने की दिशा में भी विश्वविद्यालय को सार्थक प्रयास करने की आवश्यकता है। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन के लिए विभिन्न प्रकोष्ठों के गठन पर प्रसन्नता व्यक्त की।
इसी क्रम में पुराने छात्रों के योगदान पर चर्चा करते हुए राज्यपाल ने कानपुर आईआईटी के पुराने छात्रों द्वारा अपने संस्थान के संसाधनों की बढ़ोत्तरी के लिए दिए गए योगदानों को अनुकरणीय बताया और कहा ये हमारे सभी युवाओं के लिये प्रेरक है। उन्होंने कहा कि इस भाषा विश्वविद्यालय से निकले वे पुराने छात्र जो आज कहीं न कहीं अच्छे-अच्छे उच्च पदों पर होंगे। उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने पूर्व शैक्षिक संस्थान की मदद करें, ताकि आने वाली पीढ़ी को और बेहतर संसाधनों के साथ अध्ययन करने का अवसर मिल सके।
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राज्यपाल ने अपने सम्बोधन में जल संरक्षण, ऊर्जा संरक्षण, रक्तदान, प्लेटलेट दान, बालिकाओं को सर्वाइकल कैंसर का टीका लगवाने कि दिशा में शैक्षणिक संस्थानों के योगदान पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा जितना जल वर्ष भर में उपयोग में लाया जाता है। वो उतना जल संरक्षण के लिए प्रभावी प्रयास करे। उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों को रक्तदान-प्लेटलेट दान जैसे मानव जीवन उपयोगी मुहिम से जुड़ने का आह्यान भी किया। उन्होंने कहा मानव-जीवन को बचाने में इसकी कमी को सिर्फ दान के द्वारा नैसर्गिक रूप से ही प्राप्त किया जा सकता और इसके दान से कोई शारीरिक क्षति भी नही होती हैं, ये स्वतः शरीर में फिर बन जाता है।