आरयू वेब टीम। भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा के नतीजे जारी कर दिए हैं और इसमें नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। इस तरह अब रेपो रेट चार फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी पर बरकरार रखा गया है। आरबीआइ के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इसका ऐलान किया।
आरबीआइ के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि वैश्विक बाजारों में कोविड-19 महामारी के चलते बहुत सी चुनौतियां आई हैं और भारत के सामने भी बहुत से चैलेंज रहे हैं जिनका सामना करने में आरबीआइ ने अहम भूमिका निभाने की कोशिश की है। अब हम कोरोना से निपटने के लिए पहले से बेहतर स्थिति में हैं।
मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) और बैंक दरों में भी कोई बदलाव न करने का एलान करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि देश में अभी भी निजी निवेश में तेजी लाने की जरूरत है। देश के कुछ हिस्सों में आई प्राकृतिक आपदाओं के चलते भी राज्यों से आने वाले राजस्व पर असर पड़ा है।
वहीं वित्त वर्ष 2022 में आर्थिक विकास दर 9.5 फीसदी पर रह सकती है। इस समय की स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि भारतीय इकोनॉमी बेहतर स्थिति में है और देश कोरोना से लड़ने के लिए भी बेहतर स्थिति में है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि ओमिक्रोन वेरिएंट आने से स्थितियां इस समय अनुकूल नहीं हैं पर आरबीआइ वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए लिक्विडिटी में कमी नहीं होने देगा। सिस्टम में लिक्विडिटी की कोई कमी नहीं है। एमपीसी के छह में से पांच सदस्यों का मत एक था जिसके आधार पर आज नीतिगत दरों में कोई बदलाव न करने का फैसला लिया गया है।
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आरबीआइ के मुताबिक वित्त वर्ष 2022 में महंगाई दर आरबीआइ के अनुमान के मुताबिक रहेगी और ये 5.3 फीसदी पर संभव है। शहरी मांग में बढ़त जारी है और ट्रैवल-टूरिज्म पर कोरोनाकाल के मुकाबले खर्च बढ़ा है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने आखिरी बार 22 मई 2020 को नीतिगत दरों में बदलाव किया था और इसके बाद से आठ बार मौद्रिक नीति समीक्षा हो चुकी है और आरबीआई ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। इस साल की आखिरी एमपीसी की बैठक में आरबीआई के सामने कई तरह की चुनौतियों को पार पाने के लिए कदम उठाने होने का दबाव है। जहां अर्थव्यवस्था में लिक्विडिटी बनाए रखने की जरूरत पर ध्यान देना होगा वहीं महंगाई दरों में आ रहे उतार-चढ़ाव को भी केंद्र में रखकर फैसले लेने हैं जिसके तहत आज आरबीआइ ने दरों को यथावत बनाए रखने का फैसला लिया है।
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