ग्राहकों को झटका, RBI ने रेपो रेट में नहीं किया कोई बदलाव, EMI में नहीं मिलेगी छूट

रेपो रेट

आरयू वेब टीम। भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली छह सदस्यों वाली मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है। कोरोना काल और त्योहारी सीजन में ग्राहकों को आरबीआई से झटका लगा है। ऐसा इसलिए क्योंकि केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। जबकि ग्राहकों को ईएमआई में कटौती की उम्मीद थी।

आज इस बारे में प्रेसवार्ता करते हुए आरबीआइ के गवर्नर ने मीडिया को बताया कि मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी ने रेपो रेट को चार फीसदी पर बनाए रखा है। वहीं, रिवर्स रेपो रेट भी 3.35 फीसदी पर बरकरार है। एमपीसी ने सर्वसम्मति से यह फैसला किया है। बता दें कि एमपीसी की बैठक सात अक्टूबर से शुरू हुई थी।

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी के सभी सदस्यों ने एकमत से रेपो रेट चार प्रतिशत पर बनाए रखने का फैसला किया है। इसके साथ ही अर्थव्यवस्था के लिए एकोमोडेटिव रूख बरकरार रखा है। साथ ही जब तक जरूरत होगी आरबीआइ सपोर्ट करेगी।

यह भी पढ़ें- RBI की रिपोर्ट के हवाले से राहुल ने मोदी सरकार से कहा, गरीबों को पैसा दें, उद्योगपतियों को टैक्स-कटौती नहीं

शक्तिकांत दास ने कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में भारतीय अर्थव्यवस्था निणार्यक चरण में प्रवेश कर रही। आरबीआइ आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के लिये उदार रुख बनाए रखेगा। अंकुश लगाने के बजाय अब अर्थव्यवस्था को उबारने पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। दास ने कहा कि मैद्रिक नीति समिति ने नीतिगत दर को यथावत रखने और आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये उदार रुख बनाए रखने के पक्ष में मतदान किया।

साथ ही उन्होंने कहा है कि पहली छमाही में जो पुनरूद्धार देखने को मिला है, वह दूसरी छमाही में और मजबूत होगा। तीसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधियां तेज होने की उम्मीद है।

यह भी पढ़ें- RBI ने रेपो रेट में नहीं किया बदलाव, 2020-21 में आर्थिक वृद्धि दर छह प्रतिशत रहने का जताया अनुमान

इससे पहले अगस्त में भी मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी ने पॉलिसी रेट में कोई बदलाव ना करके उसे चार प्रतिशत और रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी पर छोड़ दिया था। फरवरी 2019 से अब तक एमपीसी ने रेपो रेट में 2.50 फीसदी की बड़ी कटौती कर चुका है। सरकार द्वारा तीन अर्थशास्त्रियों आशिमा गोयल, जयंत आर वर्मा और शशांक भिडे को आरबीआइ गवर्नर की अध्यक्षता वाले एमपीसी के सदस्य के रूप में नियुक्त किए जाने के बाद यह पहली बैठक थी।