RSS केस में MP-MLA कोर्ट से बरी हुए आजम खान ने कहा अटैची लेकर आए थे, अखिलेश से भी की मुलाकात

आजम खान
बेटे के साथ अखिलेश यादव से मुलाकात करते आजम खान।

आरयू ब्यूरो, लखनऊ। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान को आरएसएस को बदनाम करने के मामले में बड़ी राहत मिली है। लखनऊ की एमपी-एमएलए कोर्ट ने आजम खान को बरी कर दिया। शुक्रवार को अदालत में करीब एक घंटे तक चली सुनवाई के दौरान भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (द्वितीय) आलोक वर्मा ने कहा कि मामले में ठोस सबूत प्रस्तुत नहीं किए गए, इसलिए दोष सिद्ध नहीं होता। फैसला सुनाए जाने के बाद आजम खान मुस्कुराते हुए कोर्ट से बाहर निकले और जज का शुक्रिया अदा किया।

वहीं कोर्ट से बाहर मीडिया से बातचीत करते हुए आजम खान ने कहा कि उन्हें न्यायपालिका से हमेशा उम्मीद रही है। साथ ही कहा कि वे अटैची लेकर आए थे, क्योंकि पहले इसी तरह के एक अन्य मामले में उन्हें सात साल की सजा सुनाई गई थी, तब वे तैयारी करके नहीं आए थे। इस टिप्पणी ने अदालत के बाहर मौजूद लोगों और मीडिया का ध्यान खींचा।

वहीं सुनवाई से पहले आजम खान की मुलाकात समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव से हुई थी। दोनों नेताओं के बीच यह जेल से रिहाई के बाद दूसरी मुलाकात थी। मुलाकात लगभग 30 मिनट चली और इसे लेकर राजनीतिक हलकों में कई तरह की चर्चाएं तेज हो गईं। मुलाकात के दौरान अब्‍दुल्‍लाह आजम भी मौजूद रहें। वहीं अखिलेश यादव ने मुलाकात के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक भावुक पोस्ट करते हुए लिखा कि यह मेलमिलाप उनकी साझा विरासत का हिस्सा है।

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गुरुवार को आजम खान ने बाहुबलि मुख्तार अंसारी के बड़े भाई और पूर्व विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी से भी मुलाकात की, जिसमें पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्रा भी मौजूद थे। मीडिया से बात करते हुए आजम ने कहा कि 50 साल की राजनीति के बावजूद उनके पास लखनऊ में कोई कोठी नहीं है, इसलिए होटल में रहना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि उन्हें भू-माफिया बताया जा रहा है जबकि रामपुर में उनका घर ऐसे इलाके में है जहां बारिश के दिनों में दो फीट तक पानी भर जाता है।

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गौरतलब है कि आजम खान के खिलाफ फरवरी 2019 में हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया था। शिकायतकर्ता सामाजिक कार्यकर्ता अल्लामा जमीर नकवी ने आरोप लगाया कि वर्ष 2014 में मंत्री रहते हुए आजम खान के सरकारी लेटरपैड और मुहर का उपयोग कर छह पत्र जारी किए गए थे, उन्हीं लेटरपैड के माध्यम से RSS को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने का प्रयास किया गया था। आरोप यह भी था कि इस कथित साजिश में शिया वक्फ बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष वसीम रिजवी शामिल थे।