आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। महीने में एक बार लगने वाली लखनऊ विकास प्राधिकरण की जनता अदालत/प्राधिकरण दिवस से आज फरियादियों को एक बार फिर खाली हाथ लौटना पड़ा। एलडीए उपाध्यक्ष से लेकर दर्जनों अफसर, इंजीनियर और कर्मचारियों की फौज मिलकर भी सालों व दशकों से एलडीए के चक्कर लगा रहे एक भी फरियादी को राहत नहीं दे सकी। एलडीए की जनता अदालत के नतीजों के यह हालत उस वक्त है, जब दर्जन दो-दर्जन नहीं बल्कि अलग-अलग मामलों के 64 फरियादी राहत की उम्मीद से जनता अदालत में पहुंचे थे।
आइए डालते है कुछ फरियादियों की समस्याओें पर एक नजर-
एलडीए नहीं दे रहा कब्जा, लेकिन दलाल तो प्लॉट बिकवाने पहुंच जाते हैं दिल्ली
दिल्ली से स्पेशली जनता अदालत में न्याय की उम्मीद के लिए पहुंचे चंद्रेश खन्ना ने बताया कि गोमतीनगर विस्तार के सेक्टर चार स्थित प्लॉट संख्या 251 उनकी मां ज्योति खन्ना के नाम एलडीए की ओर से 2002 में आवंटित किया गया था। 2008 में प्लॉट की रजिस्ट्री भी कर दी गयी, लेकिन कब्जा देने के लिए एलडीए आज तक उन्हें दौड़ा रहा है। पहले उनकी मां खुद आती थी, लेकिन अब बुजुर्ग हो जाने के चलते उन्हें दिल्ली से यहां आना पड़ता था। वहीं चंद्रेश का कहना था कि जहां आवंटन के डेढ़ दशक बाद भी एलडीए प्लॉट पर कब्जा नहीं दे सका है। वहीं एलडीए में सक्रिय दलाल फोन करने के साथ ही दिल्ली स्थित उनके घर तक पहुंचकर प्लॉट बिकवाने का ऑफर देता रहता है।
नेशनल अवार्डी को भी नहीं बख्शा
वहीं बेटे शानू के साथ ठाकुरगंज निवासी नसीम बानो अपने प्लॉट पर कब्जे के लिए पहुंची। नसीम बानो ने बताया कि दशकों पहले उन्हें नैपियर रोड योजना में 2400 वर्ग फुट का प्लॉट आवंटित किया गया था। काफी मशक्कत के बाद उन्हें 14 सौ वर्ग फुट का ही प्लॉट मिल सका है। बाकी के हिस्से के लिए वह सालों से एलडीए के चक्कर काट रही हैं। बेटे ने बताया कि नसीम बानो को चिकन इमब्राइडरी में नेशनल एवॉर्ड मिल चुका है।
प्लॉट देने की जगह एलडीए कह रहा ले लो पैसा
गोमतीनगर के विन्रम खण्ड निवासी रंजन प्रसाद ने बताया 2005 में उन्हें गोमतीनगर विस्तार के सेक्टर पांच में प्लॉट संख्या 316 आवंटित किया गया। प्लॉट की पूरी कीमत चुकाने के बाद भी एलडीए ने आज तक उस पर कब्जा देना तो दूर उसके प्लॉट की रजिस्ट्री तक नहीं की। अब 12 साल दौड़ाने के बाद एलडीए कह रहा है ब्याज समेत पैसा ले लो।
जनता अदालत में कुल 64 मामले आए थे। जिनका निस्तारण नहीं हो सका है। एलडीए सचिव ने मामलों से संबंधित अधिकारी, कर्मचारी व इंजीनियरों को तीन दिन के अंदर मामले का निस्तारण करने का निर्देश दिया है। अशोक पाल सिंह, एलडीए पीआरओ
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