कांग्रेस के पूर्व अध्‍यक्ष ने कहा, संपत्तियों को कुछ पूंजीपतियों को बेचने की साजिश कर रही मोदी सरकार

मल्लिकार्जुन खड़गे

आरयू वेब टीम। मोदी सरकार ने मौद्रिकरण के लिए कुल 400 रेलवे स्टेशनों, 90 यात्री रेलगाड़ियों, रेलवे के कई खेल स्टेडियम और कॉलोनियों के साथ ही प्रसिद्ध कोंकण और पहाड़ी रेलवे की पहचान की है। सड़क के बाद रेलवे दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है, जिसे महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय मौद्रिकरण योजना में शामिल किया गया है। इसे लेकर राजनीति तेज हो गई है। इसी क्रम में गुरुवार को कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार जवाहरलाल नेहरू द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र में लाई गई संपत्ति को कुछ पूंजीपतियों को बेचने की साजिश कर रहा है।

खड़गे ने कहा कि ये देश को नुकसान पहुंचाएगा और पिछड़े वर्ग, ओबीसी के लोगों के लिए सुनिश्चित नौकरियों को समाप्त कर देगा। हम चाहते हैं कि सरकार संपत्ति में सुधार करे और रोजगार बढ़ाए।

राहुल ने एनएमपी को बताया युवाओं के भविष्‍य पर आक्रमण

इससे पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइपलाइन (एनएमपी) की घोषणा को युवाओं के ‘भविष्य पर आक्रमण’ करार दिया और आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 70 साल में जनता के पैसे से बनी देश की बहुमूल्य संपत्तियों को अपने कुछ उद्योगपति मित्रों को ‘उपहार’ के रूप में दे रहे हैं।

उन्होंने यह दावा भी किया कि एनएमपी से कुछ कंपनियों का एकाधिकार हो जाएगा जिस कारण देश के युवाओं को रोजगार नहीं मिल पायेगा। राहुल गांधी ने एनएमपी के मुद्दे पर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं केसी वेणुगोपाल एवं रणदीप सुरजेवाला के साथ संवाददाताओं को संबोधित किया।

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कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘‘नरेंद्र मोदी और भाजपा का नारा था कि 70 साल में कुछ नहीं हुआ, लेकिन वित्त मंत्री ने कल 70 साल में जो पूंजी बनी थी, उसे बेचने का फैसला किया। मतलब यह है कि प्रधानमंत्री ने सबकुछ बेचने की तैयारी कर ली है।’’ उन्होंने एनएमपी का विस्तृत उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘इन संपत्तियों को बनाने में 70 साल लगे हैं और इनमें देश की जनता का लाखों करोड़ों रुपये लगे हैं।

अब इन्हें तीन-चार उद्योगपतियों को उपहार में दिया जा रहा है।’’ राहुल गांधी ने कहा, ‘‘ हम निजीकरण के खिलाफ नहीं है। हमारे समय निजीकरण विवेकपूर्ण था। उस समय रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण संपत्तियों का निजीकरण नहीं किया जाता था। जिन उद्योगों में बहुत नुकसान होता था, उसका हम निजीकरण करते थे।’’

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