आरयू ब्यूरो, लखनऊ। हाल ही में संपन्न हुए जी-20 व ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (जीआइएस) को लेकर लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा कराए गए करोड़ों रुपए के काम पर संदेह के बादल मंडराने लगे हैं। काम मानकों के अनुसार मौके पर कराए गए भी है या नहीं या फिर उनके इस्टीमेट बनाने में खेल तो नहीं हुआ, इसकी बारीकी से जांच के बाद ही अब ठेकेदारों का पेमेंट किया जाएगा। हाल ही में आनन-फानन में कराए गए एलडीए के बहुचर्चित कामों को लेकर विभाग की किसी तरह से बदनामी न हो इसके लिए एलडीए वीसी डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी ने सिविल, विद्युत यांत्रिक व उद्यान के कामों की जांच के लिए सचिव, अपर सचिव व अधीक्षण अभियंता की अध्यक्षता में चार अलग-अलग कमेटी गठित की है। इनके भौतिक सत्यापन करने व थर्ड पार्टी ऑडिट के बाद ही अब पेमेंट के लिए फाइल आगे बढ़ सकेगी। वीसी के इस आदेश ने ठेकेदारों के साथ ही ऐसे इंजीनियर व अफसरों की भी चिंता बढ़ा दी है जो जल्द से जल्द भुगतान कराने के लिए अधिकारियों के यहां खुद ही फाइलों को लेकर चक्कर लगा रहे थे।
20 करोड़ मिले, 50 करोड़ से ज्यादा के खर्च का अनुमान
बताते चलें कि जी-20 व समिट के दौरान एलडीए ने लखनऊ के चुनिंदा इलाके व सड़कों की मरम्मत व सजावट आदि के नाम पर 50 करोड़ रुपए से ज्यादा के ठेकेदारों से काम कराए थे। हालांकि चीफ इंजीनियर समेत इन कामों को कराने वाले अभियंता व अन्य अधिकारी भी जी-20 के एक हफ्ते बाद भी यह नहीं बता पा रहें कि एलडीए ने इन कामों पर कितना खर्च किया है।
अवस्थापना निधि व कार्पस फंड करेंगे बोझ हल्का!
दूसरी ओर सूत्रों की मानें तो एलडीए को अभी तक मात्र 20 करोड़ रुपए ही स्मार्ट सिटी से मिले है, जबकि एलडीए ने 30 करोड़ रुपए की नगर विकास से और मांग की है। वहीं 20 करोड़ से कहीं ज्यादा खर्च होने के अनुमान के बाद जी-20 व समिट के दौरान कराए गए कुछ कामों को जुगाड़ु अफसर अवस्थापना निधि व कार्पस फंड के मद से ठेकेदारों को भुगतान कराने का आश्वासन दे रहें हैं।
शक के घेरे में सबसे अधिक उद्यान के काम, पहले भी हो चुका है विवाद
वहीं इनमें सबसे अधिक उद्यान के कामों को लेकर संदेह जताया जा रहा। इसकी वजह अधिकारियों की सोच से कहीं ज्यादा धनराशि की फाइलें उद्यान की सामने आ रही है। कहा जा रहा आलाधिकारी इसलिए भी उद्यान की फाइलों को लेकर संदेह में हैं, क्योंकि पहले भी मियावाकी पार्क के नाम पर चार करोड़ की फाइल बना दी गयी थी, जिस पर खुद इंद्रमणि त्रिपाठी ने हैरत जताते हुए टेंडर कैंसिल करा दिया था। इसके साथ ही सहायक उद्यान अधिकारी व जेई पर भी कार्रवाई की बात कही थी। वहीं दो महीना पहले भी गोमतीनगर के 11 पार्कों को संवारने के नाम पर कराए गए करीब 60 लाख के टेंडर को लेकर ठेकेदारों में न सिर्फ मारपीट व मुकदमेबाजी हुई थी, बल्कि सहायक उद्यान अधिकारी पर भी गलत तरीके से फाइल रोकने व टेंडर पुलिंग कराने की वीसी से शिकायत हुई थी।
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आज गठित कमेटी के बारे में एलडीए वीसी इंद्रमणि त्रिपाठी ने बताया जी-20 व समिट के मद्देनजर प्राधिकरण द्वारा शहर में कराये गये औद्यानिक, विद्युत व सिविल आदि के कार्यों के भौतिक सत्यापन के लिए चार कमेटी गठित की गयी हैं। यह कमेटियां कामों के खर्च का अनुमान लगाने के साथ ही संबंधित से एमबी पर अंकित करा सात दिन में अपनी रिपोर्ट देंगी, जिसमें संबंधित ठेकेदार के भी साइन होंगे। कमेटी के सत्यापन व थर्ड पार्टी ऑडिट के बाद ही ठेकेदारों को एलडीए भुगतान करेगा।
सचिव की अध्यक्षता में कमेटी करेगी जांच
उपाध्यक्ष ने बताया कि इस क्रम में औद्यानिक कार्यों के सत्यापन के लिए सचिव पवन कुमार गंगवार की अध्यक्षता में एफसी दीपक सिंह, मुख्य अभियंता अवधेश तिवारी, जोनल अधिकारी देवांश त्रिवेदी, अधिशासी अभियंता अवनीन्द्र कुमार सिंह व संजीव कुमार गुप्ता की कमेटी गठित की गयी है।
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अपर सचिव की टीम परखेगी दस लाख तक के कामों की हकीकत
इसी तरह 10 लाख रूपये तक के कामों के भौतिक सत्यापन के लिए अपर सचिव ज्ञानेन्द्र वर्मा की अध्यक्षता में जोनल अधिकारी अरूण कुमार सिंह, देवांश त्रिवेदी, अधिशासी अभियंता नवनीत शर्मा, जेई अशोक कुमार व राकेश चन्द्र गुप्ता की कमेटी गठित की गयी है।
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इसके अलावा विद्युत यांत्रिक के स्थायी कार्यों के सत्यापन के लिए सचिव पवन कुमार गंगवार की अध्यक्षता में ओएसडी श्रद्धा चौधरी, मुख्य अभियंता अवधेश तिवारी, अधीक्षण अभियंता (विद्युत यांत्रिक) अजय कुमार सिंह व उप सचिव माधवेश कुमार की कमेटी जांच कर रिपोर्ट देगी।
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वहीं विद्युत यांत्रिक के अस्थायी कामों के सत्यापन के लिए एसई अजय कुमार सिंह की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गयी है। इसमें एक्सईएन मनोज सागर, सुनील कुमार जैन व सहायक अभियंता भगत सिंह को सदस्य के रूप में नामित किया गया है।