सतीश द्विवेदी ने कहा, नई शिक्षा नीति यूपी को नई ऊंचाईयों पर ले जाएगी

राष्ट्रीय शिक्षा नीति
बेसिक शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अफसरों के साथ बैठक करते शिक्षा मंत्री।

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी ने भारत सरकार द्वारा घोषित राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का स्वागत किया है। उन्होंने बताया कि बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे पर विभिन्न हितधारकों से विचार-विमर्श के बाद भारत सरकार को सुझाव भेजे गये थे, जिन्हें भारत सरकार द्वारा स्वीकार किया गया है।

शिक्षा मंत्री ने गुरुवार को भारत सरकार का आभार व्यक्‍त करते हुए कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति राष्ट्र एवं उत्तर प्रदेश को एक नई दिशा में सफलता की ऊंचाइयों तक ले जायेगी।

आज अपने कार्यालय में बेसिक शिक्षा विभाग के वरिष्‍ठ अफसरों के साथ बैठक करने के बाद शिक्षा मंत्री ने मीडिया को बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति से संबंधित विभिन्न आयामों पर यूपी में पहले से ही काम किया जा रहा है जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विभिन्न घटकों की कार्ययोजना के अनुसार है। यूपी में हर साल ‘स्कूल चलो अभियान‘ व्यापक स्तर पर संचालित करते हुए छह से 14 साल के शत-प्रतिशत छात्र-छात्राओं के नामांकन का लक्ष्य पूरा कर लिया गया है।

बेसिक शिक्षा मंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बुनियादी शिक्षा पर अत्यधिक बल दिया गया है और इसके लिए नेशनल मिशन फॉर फाउंडेशन लिटरेसी एंड न्यूमेरसी कि घोषणा की गयी है, जो स्वागत योग्य है।

इस संबंध में उल्लेखनीय है कि पिछले साल चार सितंबर को मुख्यमंत्री द्वारा ‘प्रेरणा मिशन‘ का शुभारंभ किया गया था, जिसके अन्तर्गत प्रेरणा लक्ष्य निर्धारित किये गये। मिशन प्रेरणा में बुनियादी शिक्षा, उपचारात्मक शिक्षा तथा शैक्षणिक सामग्री पर प्रदेश में विशेष ध्यान केन्द्रित किया गया है। इस दिशा में शिक्षकों के उपयोगार्थ आधारशिला माड्यूल, ध्यानाकर्षण माड्यूल तथा शिक्षण संग्रह माड्यूल शिक्षाविदों की सहायता से तैयार किये गये हैं और सभी शिक्षकों को उपयोगार्थ उपलब्ध कराये जा रहे हैं।

यह भी पढ़ें- HRD का नाम बदलकर किया गया शिक्षा मंत्रालय, नई शिक्षा नीति को भी मिली मंजूरी

शिक्षा मंत्री ने आगे बताया कि इसके अलावा छात्र-छात्राओं के उपयोगार्थ ग्रेडेड बुक्स, रीडिंग बुक्स, लाइब्रेरी बुक्स, खेलकूद साज-सज्जा आदि उपलब्ध कराने कि व्यवस्था की गयी है। प्रदेश में छात्रों के लर्निंग आउटकम्स में सुधार के लिए विशेष बल दिया जा रहा है। छात्रों के उपलब्धि स्तर के आंकलन के लिए त्रैमासिक परीक्षाएं आयोजित करायी गयी हैं। प्रेरणा लक्ष्यों के सापेक्ष कक्षावार एवं विषयवार छात्र-छात्राओं के लर्निंग आउटकम्स की प्रगति का अनुश्रवण करने हेतु प्रेरणा तालिकाएं सभी कक्षों में चस्पा कराई जा रही हैं।

बेसिक शिक्षा मंत्री ने बताया कि त्रैमासिक परीक्षाओं में प्राप्त परिणामों के आधार पर प्रत्येक छात्र-छात्रा को रिपोर्ट कार्ड वितरित किया जा रहा है और छात्र-छात्रा की प्रगति अभिभावकों से साझा की गयी है। शैक्षिक रूप से पिछड़ रहे छात्र-छात्राओं के लर्निंग आउटकम्स में बढ़ोतरी के लिए रेमेडियल टीचिंग की व्यवस्था की गयी है और इसके लिए विद्यालय के समय-सारिणी में उपचारात्मक शिक्षण पीरियड सम्मिलित किया गया है। छात्र-छात्राओं के लर्निंग आउटकम्स के स्वतंत्र आंकलन हेतु थर्ड पार्टी एसेसमेन्ट की व्यवस्था भी की गयी है।

यह भी पढ़ें- अफसरों के साथ बैठक कर बेसिक शिक्षा मं‍त्री ने जाना शिक्षक, शिक्षामित्र व अनुदेशकों के कार्यों की प्रगति, ये निर्देश भी दिए

सतीश द्विवेदी ने बताया कि भारत सरकार द्वारा पूर्व प्राथमिक शिक्षा पर विशेष महत्व दिया जा रहा है। इस संबंध में राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् द्वारा पूर्व प्राथमिक कक्षाओं के लिए लर्निंग आउटकम्स निर्धारित किये जा चुके हैं। समग्र शिक्षा द्वारा आइसीडीएस से विचार-विमर्श कर ‘पहल‘ पुस्तिका विकसित की गयी है।

इसके अलावा आंगनबाड़ी केंद्रों की कार्यकत्रियों एवं विद्यालय के प्रधानाध्यापक के लिए प्रशिक्षण आयोजित कराने की कार्ययोजना तैयार की जा चुकी है। इसी कड़ी में इस साल लर्निंग किट्स तैयार करने की कार्ययोजना है। इन सभी घटकों के आधार पर प्रदेश में बच्चों के लिए ‘स्कूल रेडीनेस‘ की कार्ययोजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

शिक्षा मंत्री ने यह भी बताया कि छह से 14 साल के आउट ऑफ स्कूल बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा में लाने के लिए भी प्रदेश में ‘शारदा‘ कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इन बच्‍चों को विद्यालय में प्रवेश दिलाकर उन्हें छह महीने की स्‍पेशल ट्रेनिंग देकर उनके स्तर के अनुरूप विद्यालय की उपयुक्‍त कक्षा की मुख्य धारा में सम्मिलित किया जायेगा। इन बच्चों के संबंध में विभिन्न सूचनाएं प्राप्त करने तथा बच्चों की ट्रैकिंग करने हेतु ‘शारदा पोर्टल‘ विकसित करते हुए क्रियाशील बनाया गया है।

वहीं दिव्यांग बच्चों की समावेशी शिक्षा के लिए राज्य सरकार द्वारा विस्तृत गाइडलाइन्स जारी की गयी हैं, जिनके तहत ‘समर्थ‘ कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। जिसके अंतर्गत ज्‍यादा से ज्‍यादा दिव्यांग बच्चों को चिन्हित कर  उनका चिकित्सीय परीक्षण तथा विद्यालयों में नामांकित कराये जाने की कार्यवाही की जा रही।

सतीश द्विवेदी ने बताया कि सरकार द्वारा कक्षा एक से आठ तक में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम एवं पाठ्य पुस्तकें लागू करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया जा चुका है और इस दिशा में चरणबद्ध रूप में छात्र-छात्राओं के लिए एनसीईआरटी की किताबें उपलब्ध कराने की कार्यवाही शुरू कर दी गयी है।

उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षा के अन्तर्गत टेक्नोलॉजी को अपनाये जाने पर बल दिया गया है। प्रदेश का बेसिक शिक्षा विभाग इस दिशा में पूर्व से ही अग्रसर है। ‘दीक्षा पोर्टल‘ पर उत्कृष्ट कोटि की विषय-वस्तु उपलब्ध करायी गयी है जिसका प्रयोग शिक्षक कक्षा-शिक्षण के दौरान कर रहे हैं जिससे पठन-पाठन हेतु रूचिकर वातावरण सृजित हुआ है। सभी शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं (Rote learning) सुगम करने हेतु दूरदर्शन एवं रेडियो पर शिक्षण कार्यक्रम प्रसारित किये जा रहे हैं।

अब यूपी में रटने वाली शिक्षा…

शिक्षा मंत्री के अनुसार अब यूपी में रटने वाली शिक्षा Coherent Access  को कम करने के लिए भी Interactive Learning Classes तथा Experiential Learning को बढ़ावा दिया जा रहा है। बुनियादी शिक्षा के अन्तर्गत छात्र-छात्राओं के लिए भाषा एवं गणित पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि टीचर एजुकेशन का स्तर एवं व्यवस्था में सुधार हेतु राष्ट्रीय शिक्षा नीति में विशेष बल दिया गया है जो स्वागत योग्य है। टीईटी की व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है जिससे योग्य अध्यापक उपलब्ध हो सकें। इसके अलावा शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों का सुदृढ़ीकरण भी किया जा रहा है ताकि सेवा पूर्व शिक्षक प्रशिक्षण कोर्स की गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके।

बेसिक शिक्षा मंत्री ने बताया कि जेण्डर एजुकेशन को बढ़ावा देने की दिशा में प्रदेश में 350 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों का कक्षा-12 तक उच्चीकरण किया जा रहा है जिससे कमजोर वर्गों की बालिकाओं को कक्षा-12 तक की निःशुल्क आवासीय शिक्षा की सुविधा उपलब्ध हो जायेगी।

यह भी पढ़ें- अफसरों के साथ बैठक कर बेसिक शिक्षा मं‍त्री ने जाना शिक्षक, शिक्षामित्र व अनुदेशकों के कार्यों की प्रगति, ये निर्देश भी दिए

निजी प्रबन्धतंत्र द्वारा संचालित गैर-अनुदानित स्वतंत्र विद्यालयों द्वारा छात्र-छात्राओं से लिये जाने वाले शुल्क के विनियमन के लिए राज्य सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमन) अधिनियम 2018 पारित करते हुए लागू किया जा चुका है। शिक्षा मंत्री ने विश्‍वास व्यक्त करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारत सरकार द्वारा जो भी सुधारात्मक कार्यक्रम निर्धारित किये गये हैं उन सभी में राज्य सरकार संकल्पबद्ध होकर कार्य करने के लिए तैयार है, जिसके फलस्वरूप उत्तर प्रदेश अग्रणी राज्य के रूप में उभरकर आयेगा।