आरयू वेब टीम। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर रमजान के चलते वोटिंग का समय सुबह सात बजे की जगह पांच बजे से शुरू करने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि वह वोटिंग का समय तय नहीं कर सकता। ये तय करना चुनाव आयोग का विशेषाधिकार है। इससे पहले चुनाव आयोग इस मांग को अव्यवहारिक बता कर खारिज कर चुका है।
अदालत की ग्रीष्मकालीन अवकाश पीठ में न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और संजीव खन्ना ने याचिका पर सुनवाई की। उन्होंने कहा कि मतदान का अधिसूचित समय सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक है और मतदाता सुबह में भी वोट डाल सकते हैं। यदि निर्धारित समय से पहले मतदान शुरू होते हैं तो आयोग को व्यावहारिक समस्या का सामना करना पड़ेगा।
यह भी पढ़ें- रमजान में मतदान पर नेताओं और धर्मगुरु ने जताई आपत्ति, भाजपा को फायदा बताते हुए चुनाव आयोग से की अपील
वहीं याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि ऐसा करने से भीषण गर्मी में मतदान करने के लिए नहीं निकलने वाले मतदाता भी तड़के मतदान कर सकेंगे। साथ ही रमजान में रोजा रखने वाले भी कड़ी धूप में लाइन लगाने से बच जाएंगे और लोकतंत्र के इस महापर्व में मतदान के प्रतिशत में भी बढ़ोतरी होगी। क्योंकि सुबह और शाम के समय मतदान के लिए काफी कम घंटें लोगों को वोट डालने के लिए मिल रहें हैं, जबकि उसकी अपेक्षा मतदाताओं की संख्या कहीं ज्यादा है, इसके अलावा ईवीएम में आ रही बार-बार की खराबी की वजह से भी कड़कती धूप में लाइन लगाने वाले और इंतजार के बाद भी बिना मतदान किए लौट जाने वाले मतदाताओं को भी राहत मिल सकेगी, इससे भी मतदान के प्रतिशत में वृद्धि होगी।
इससे पहले आयोग ने कहा था कि समय में बदलाव संभव नहीं है। चुनाव आयोग का कहना था कि अभी मतदानकर्मी सुबह छह बजे मतदान केंद्रों पर पहुंचते हैं। समय बदलने से उन्हें चार बजे पहुंचना होगा। वोटिंग में लगे हुए अफसर और कर्मचारी पहले से ही बढ़े हुए घंटों में काम कर रहे हैं। हर राज्य में सूर्योदय का समय अलग-अलग होता है। अगर वोटिंग मतदान सूर्योदय से पहले शुरू की जाएगी तो अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था करनी होगी।
यह भी पढ़ें- SC का आदेश, अब हर विधानसभा क्षेत्र में एक की बजाए पांच बूथों पर होगा EVM-VVPAT का औचक मिलान
आयोग का कहना था कि रमजान के पूरे महीने के लिए चुनाव स्थगित करना संभव नहीं है। मुख्य त्योहार दिवसों और शुक्रवार को चुनाव से मुक्त रखा गया है। रमजान के दौरान चुनाव होंगे, क्योंकि पूरे माह के लिए चुनाव स्थगित करना संभव नहीं था। एडवोकेट मोहम्मद निजामुद्दीन पाशा और असद हयात ने याचिका दाखिल कर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली बेंच से जल्द सुनवाई करने की अपील की थी।
जिसके बाद बेंच ने चुनाव आयोग से इस मामले में फैसला लेने को कहा था। याचिका पर विचार करने के लिए चुनाव आयोग ने अधिकारियों की एक कमेटी बनाई थी। सात मई से रमजान शुरू हो चुके हैं। लोकसभा चुनाव का अब आखिरी चरण बाकी है। इस चरण के लिए 19 मई को वोटिंग होगी।