आरयू हेल्थ डेस्क। भारत में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान विशेषज्ञ तीसरी लहर का अंदेशा जता रहे हैं। इस बीच छात्रों की पढ़ाई को ध्यान में रखते हुए सभी राज्यों में क्रमानुसार स्कूल खुल भी रहें हैं। ऐसे में बच्चों की सुरक्षा को लेकर अभिभावक चिंता में है। फिलहाल बच्चों के लिए कोविड-19 से लड़ने के लिए कोई उपयुक्त वैक्सीन भी नहीं है। ऐसे में हर अभिभावक की अपने बच्चे को सुरक्षित तरीके से स्कूल भेजना सबसे बड़ी जिम्मेवारी है। अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने के पहले सैनिटाइजर का प्रयोग करना और सोशल डिस्टेसिंग के बारे में बता रहे हैं। साथ ही सभी पैरेंट्स की सबसे बड़ी समस्या है अपने बच्चों के लिए मास्क का चयन कैसे करें उन्हें यह अभी तक पता नहीं चल सका है।
आज हम आपको उस मास्क के बारे में बताएंगे जिसका इस्तेमाल आप अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए कर सकते हैं। ऐसे वक्त पर जब भारत में बच्चों के लिए कोई भी कोविड वैक्सीन नहीं है, उन्हें पूरी तरह से सुरक्षित स्कूल भेजना आसान काम नहीं है। बच्चों को कोरोना से बचाने के लिए मास्क का योगदान काफी महत्वपूर्ण होता है। बच्चों को स्कूल भेजने के लिए आप एन95/एफएफपी2 मास्क का प्रयोग कर सकते हैं।
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यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ इन मास्क को प्रभावी माना है। यह मास्क फिल्टेरेशन और रिसाव दोनों का काम करती है। यूरोप में इस मास्क के वजह से कोरोना की दूसरी लहर के स्पीड को कम करने में काफी बड़ा योगदान रहा।
यह मास्क 95 से 99 प्रतिशत तक प्रॉपर फिल्टरिंग करता है। ये कोरोना के इस प्रलंयकारी दौर में लोगों की सबसे बड़ी जरूरत बन गया है, जो लोगों को कोरोना से एक हद तक सुरक्षा प्रदान करता है। ये कपड़े के बने आम मास्क की तुलना में काफी बेहतर माना जाता है।
बता दें यह मास्क सेल्फ सैनिटाइजिंग रेस्पिरेटर एक कार्बनिक एंटी-माइक्रोबियल कोटिंग वाले मास्क होते हैं जो अपनी सतह पर एसएआरएस-सीओवी-2 वायरस को मारने में सक्षम होते हैं। इसलिए आप अपने बच्चों को स्कूल भेजने के पहले यह मास्क पहना सकते हैं।