आरयू ब्यूरो, लखनऊ। मोदी सरकार की नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी (एनआरए) के गठन की घोषणा के बाद गुरुवार को राष्ट्रीय लोकदल ने इसे बेरोजागारों व युवाओं में भ्रम फैलाने कुचक्र बताया है। रालोद के प्रवक्ता सुरेंद्र नाथ त्रिवेदी ने आज अपने एक बयान में कहा है कि केंद्र सरकार ने नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी के गठन की घोषणा करके एक बार फिर देश के युवा वर्ग को छलने का प्रयास किया है और प्रदेश सरकार द्वारा उसी नीति को प्रदेश में अपनाने की रणनीति तैयार करने में भी बेरोजगारों और युवाओं के साथ भ्रम फैलाने का कुचक्र किया जा रहा है।
रालोद प्रवक्ता ने दावा करते हुए कहा कि वास्तविकता तो यह है कि जब सरकारी विभागों और उपक्रमों का ही निजीकरण कर दिया जायेगा तो सरकारी नौकरियों का सवाल ही कहां उठता है और इस निजीकरण की शुरूआत केंद्र सरकार ने रेलवे व एयरपोर्ट जैसे सरकारी संसाधनों द्वारा एक पहले ही कर दी है।
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आज सुपर टेट पर भी सवाल उठाते हुए सुरेंद्र त्रिवेदी ने पत्रकारों से कहा कि यूपी में बीटीसी0और बीएड जैसी शिक्षकों की डिग्रियों को प्राप्त करने के बाद भी टीईटी परीक्षा होती रही थी। अब उसमें भी सुपर टेट लागू करके सरकार क्या सिद्ध करना चाहती है? जबकि एक शिक्षक के लिए बीटीसी और बीएड ही शैक्षिक योग्यता की पहचान है।
बेरोजगार विभिन्न परीक्षाओं के दौर से ही गुजरता रहेगा
उन्होंने आगे कहा कि इससे साफ है कि भाजपा सरकार ऐसे नियमों का समावेश करती जा रही है कि शिक्षा प्राप्त बेरोजगार युवा विभिन्न परीक्षाओं के दौर से ही गुजरता रहेगा और इस बीच सरकार द्वारा अपने चहेते चंद लोगों को सेवा में शामिल कर लिया जायेगा।
रालोद प्रवक्ता ने कहा कि इसी तरह बैंको में भी आइबीपीएस के नाम से परीक्षा का आयोजन शुरू किया गया था, जिसके माध्यम से कुछ सालों तक नौकरियां मिली और अब हजारों बैंक ही समाप्त कर दिये गये तो उस संस्था की प्रासंगिकता स्वयं समाप्त हो गयी।
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सुरेंद्र त्रिवेदी ने चिंता जताते हुए आज यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश का युवा असमंजस की स्थिति से गुजर रहा है, उसे अपना भविष्य अंधकारमय लग रहा, क्योंकि सरकारों द्वारा लगातार सरकारी उपक्रम एवं सरकारी संसाधन पूंजीपतियों और उद्योगपतियों के हाथों में देने का सतत प्रयास जारी है।