आरयू ब्यूरो, लखनऊ। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को राष्ट्रीय लोकदल ने केंद्र सरकार पर कानून का करारा तमाचा बताया है। साथ ही इसे किसानों की ऐतिहासिक विजय करार देते हुए कहा कि निश्चित रूप चौधरी चरण सिंह की आत्मा ने भी किसानों की विजय पर संतुष्टि महसूस की होगी।
राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर मसूद अहमद ने कहा कि पिछले 46 दिन से लाखों किसान दिल्ली के सभी बार्डरों पर अपना घर परिवार छोड़कर शान्तिपूर्ण ढंग से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं इस दौरान लगभग 50 किसान असमय काल के गाल में समा गये और तीन किसानों ने केंद्र सरकार की हठधर्मिता से क्षुब्ध होकर आत्महत्या भी कर ली, लेकिन प्रधानमंत्री व किसी अन्य मंत्री ने शोक व्यक्त करना भी उचित नहीं समझा, जोकि मानवता की हत्या और देश के अन्नदाता का अपमान है।
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केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए मसूद अहमद ने कहा कि केंद्रीय मंत्रियों द्वारा किसानों को आतंकवादी ओर खलिस्तानी जैसे शब्दों से अपमानित करना लोकतांत्रिक सरकार द्वारा देश की जनता का अपमान है, जो अक्षम्य अपराध की श्रेणी में आता है। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने किसानों का दर्द महसूस करते हुए केंद्र सरकार की आंखे खोलने का प्रयास किया है और किसानों का सम्मान वापस दिलाया।
बता दें कि कृषि कानूनों और किसानों के आंदोलन पर दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि कृषि कानूनों पर रोक आप लगा रहे हैं कि मैं लगाऊं। साथ ही यह भी कहा कि महात्मा गांधी ने भी सत्याग्रह किया था अतः किसानों के प्रदर्शन पर हम रोक नहीं लगा सकते।