आरयू वेब टीम। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मोदी सरकार ने मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति, सेवा की शर्तों और कार्यकाल को विनियमित करने के लिए राज्यसभा में पेश करने के लिए एक विधेयक सूचीबद्ध किया है। जिसे लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को पीएम नरेंद्र मोदी पर गंभीर आरोप लगाए है। केजरीवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री खुलेआम सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानते हैं। ये बेहद खतरनाक स्थिति है।
गुरुवार को केजरीवाल ने ट्विट कर कहा कि मैंने पहले ही कहा था कि प्रधानमंत्री जी देश के सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानते। उनका संदेश साफ है, जो सुप्रीम कोर्ट का आदेश उन्हें पसंद नहीं आएगा, वो संसद में कानून लाकर उसे पलट देंगे। प्रधानमंत्री खुलेआम सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानते तो ये बेहद खतरनाक स्थिति है।
प्रधानमंत्री भारतीय जनतंत्र करते जा रहें कमजोर
दिल्ली के सीएम ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक निष्पक्ष कमेटी बनायी थी जो निष्पक्ष चुनाव आयुक्तों का चयन करेगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटकर मोदी जी ने ऐसी कमेटी बना दी जो उनके कंट्रोल में होगी और जिस से वो अपने मन पसंद व्यक्ति को चुनाव आयुक्त बना सकेंगे। इस से चुनावों की निष्पक्षता प्रभावित होगी एक के बाद एक निर्णयों से प्रधानमंत्री भारतीय जनतंत्र को कमजोर करते जा रहे हैं।
चुनाव आयुक्त होंगे बीजेपी के वफादार
वहीं अपने एक अन्य ट्वीट में सीएम केजरीवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री जी द्वारा प्रस्तावित चुनाव आयुक्तों की चयन कमेटी में दो बीजेपी के सदस्य होंगे और एक कांग्रेस का। जाहिर है कि जो चुनाव आयुक्त चुने जायेंगे, वो बीजेपी के वफादार होंगे।
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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था जिसका उद्देश्य मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को कार्यपालिका के हस्तक्षेप से बचाना था। इसने फैसला सुनाया था कि उनकी नियुक्तियां प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश की सदस्यता वाली एक समिति की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएंगी।
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न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने एक सर्वसम्मत फैसले में कहा कि यह मानदंड तब तक लागू रहेगा जब तक कि इस मुद्दे पर संसद द्वारा कानून नहीं बनाया जाता।